पिछले दिनों में यीशु के विश्वासियों द्वारा आहात होने के बाद, मेरी माँ ने क्रोध में जवाब दिया जब मैंने अपना जीवन उसे समर्पित किया l “तो, अब आप मेरा न्याय करने जा रहीं हैं?” मैं ऐसा नहीं सोचती हूँ l” उन्होंने फोन रख दिया और पूरे एक वर्ष तक मुझसे बात करने से मना कर दिया l मैं दुखित हुयी, लेकिन अंततः अहसास हुआ कि परमेश्वर के साथ एक रिश्ता मेरे सबसे कीमती रिश्तों में से एक से भी अधिक महत्वपर्ण था l मैंने हर बार उनके लिए प्रार्थना की जब उन्होंने मेरे कॉल्स को अस्वीकार किया और परमेश्वर से आग्रह किया कि मेरी माँ से अधिक प्रेम करने में वह मेरी मदद करे l
अंततः, हमने सुलह कर ली l कुछ महीने बाद उन्होंने कहा, “तुम बदल गयी हो l मुझे लगता है कि मैं यीशु के बारे में अधिक सुनने के लिए तैयार हूँ l” इसके तुरंत बाद, उन्होंने मसीह को स्वीकार कर लिया और अपने बाकी दिनों में परमेश्वर और दूसरों से प्रेम किया l
उस व्यक्ति की तरह, जो यीशु के पास यह पूछने गया था कि वह अनंत जीवन कैसे प्राप्त कर सकता था, लेकिन उदास होकर लौट गया क्योंकि वह अपनी धन से अलग नहीं होना चाहता था (मरकुस 10:17-22), मैंने उसका अनुसरण करने के लिए सब कुछ त्यागने के विचार के साथ संघर्ष किया l
चीजों या लोगों को त्यागना सरल नहीं है जिन पर हम परमेश्वर से अधिक भरोसा रखने का विचार रखते हैं (पद.23-25) l लेकिन हम इस संसार में जो कुछ भी त्यागते हैं या खो देते हैं उसका मूल्य यीशु के साथ अनंत जीवन के उपहार से अधिक नहीं होगा l हमारे प्रेमी परमेश्वर ने सभी लोगों को बचाने के लिए स्वेच्छा से खुद को बलिदान किया l वह हमें शांति से ढकता है और हमें अनमोल और सतत प्यार से प्रेम करता है l
जब आपने यीशु का अनुसरण करना आरम्भ किया, तो वह सबसे मुश्किल काम क्या था जो आपने छोड़ दिया या खो दिया? सांसारिक सुख, भौतिक धन, और लोगों पर उससे अधिक भरोसा करना क्यों आसान लगता है?
हे परमेश्वर, आपको धन्यवाद क्योंकि आपने हमारी योग्यता से बढ़कर हमसे प्रेम किया और हमें स्मरण दिलाया कि आप इस संसार में किसी भी चीज़ या किसी भी व्यक्ति से अधिक अनमोल है l