21 सितम्बर, 1938 को दोपहर में, एक युवा मौसम विज्ञानी ने अमरीकी मौसम ब्यूरो को दो अग्र भागों के विषय चेतावनी दी जो एक तूफ़ान को उत्तर की ओर न्यू इंग्लैंड की ओर धकेल रहा है l लेकिन पूर्वानुमान के प्रमुख ने चार्ल्स पियर्स की भविष्यवाणी का मज़ाक बनाया l निश्चय हो एक उष्णकटिबंधीय(tropical) तूफ़ान इतनी दूर उत्तर की ओर हमला नहीं करेगा l
दो घंटे बाद, 1938 के न्यू इंग्लैंड तूफ़ान ने लॉन्ग आइलैंड पर आक्रमण किया l शाम 4.00 बजे तक वह न्यू इंग्लैंड तक पहुँच गया, जहां जहाज़ पानी में डूब गए और घर टुकड़े-टुकड़े होकर समुद्र में समा गए l छह सौ से अधिक लोग मारे गए l यदि पीड़ितों को पियर्स की चेतावनी मिली होती – ठोस आंकड़ों और उसके विस्तृत नक्शों के आधार पर – उनके बचने की सम्भावना होती l
यह जानने की अवधारणा कि किसके वचन को माना जाए को पवित्रशास्त्र में अग्रगामी है l यिर्मयाह के दिन में, परमेश्वर ने अपने लोगों को झूठे नबियों के खिलाफ चेतावनी दी थी l “[उनकी ओर] कान मत लगाओं,” उसने कहा l “ये तुमको व्यर्थ बातें सिखाते हैं, ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं” (यिर्मयाह 23:16) l परमेश्वर ने उनके विषय कहा, “यदि ये मेरी शिक्षा में स्थिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगों को मेरे वहां सुनाते” (पद.22) l
“झूठे नबी” अभी भी हमारे साथ हैं l “विशेषज्ञ” सलाह देते हुए परमेश्वर को पूरी तरह अनदेखा करते हैं या अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसके शब्दों को मोड़ देते हैं l लेकिन उसके वचन और आत्मा से, परमेश्वर ने वह दिया है जो हमें झूठे को सच से शुरू करने की ज़रूरत है l जैसे-कैसे हम उसके व्बचन की सच्चाई से सब कुछ नापते हैं, हमारे अपाने शब्द और जीवन तेजी से दूसरों के लिए उस सच्चाई को दर्शाते हैं l
जब मैं तय करता हूँ की कुछ सच है तो मई काया मानक अक उपयोग करता हूँ? जो लोग मुझसे असहमत हैं, उनके प्रति मेरे रवैये में क्या बदलाव की ज़रूरत है?
हे परमेश्वर, इन दिनों कई लोग आपके पक्ष में बोलने का दावा करते हैं l हमें सिखने में मदद करें की आप वास्तव में क्या कहना चाहते हैं l हमें इस संसार की आत्मा के प्रति नहीं, अपनी आत्मा के प्रति संवेदनशील बनाएँ l