एक क्रांति को प्रज्वलित करने में क्या लगता है? बंदूकें? बम? गुरिल्ला युद्ध? 1980 के दशक के अंत के एस्टोनिया में, गानो से क्रांति आई lदशकों तक लोग सोवियत कब्जे के बोझ तले दबे रहने के बाद, देशभक्ति गीतों की श्रृखला के गायन के साथ एक आन्दोलन शुरू हुया l इन गीतों ने “गायन क्रांति “Singing Revolution)” को जन्म दिया, जिसने 1991 में एस्टोनियाई स्वतंत्रता को बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी l

उस आन्दोलन का वर्णन करनेवाली एक वेबसाइट कहती है, “यह एक अहिंसक क्रांति थी जिसने बहुत ही हिंसक कब्जे को उलट दिया l” “लेकिन गायन हमेशा एस्टोनियाई लोगों के लिए एक करनेवाला एक प्रमुख बल था, जब उन्होंने सोवियत शासन के अधीन पचास साल सहन किये l” 

संगीत हमारे अपने कठिन समयों में हमारी मदद करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है l मुझे आश्चर्य है कि शायद इसीलिए हम इतनी आसानी से भजन के साथ पहचान बना लेते हैं l आत्मा की अँधेरी रात थी जब भजनकार ने गया, “हे मेरे प्राण, तू क्यों गिया जाता है ? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है ? परमेश्वर पर आशा लगाए रख; क्योंकि मैं उसके दार्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा” (भजन 42:5) l यह गहरी मायूसी के मौसम में था कि उपासना का अगुआ, आसाप, ने खुद को याद दिलाया, “सचमुच इस्राएल के लिए अर्थात् शुद्ध मनवालों के लिए परमेश्वर भला है” (73:1) l

हमारे अपने चुनौतीपूर्ण समय में, क्या हम भजनकारों के साथ अपने दिलों के लिए गायन क्रांति में शामिल हो सकते हैं l इस तरह की क्रांति निराशा और भ्रम के व्यक्तिगत उत्पीड़न को परमेश्वर के महान प्रेम और विश्वास में विश्वास के पूर्ण भरोसे के साथ पराजित करता है l