जैसा कि मैंने अपने परामर्शदाता के साथ अपनी भावनाओं के उतार-चढ़ाव को एक तनाव-भरे सप्ताह के बाद साझा किया, उसने सोच समझकर सुना। फिर उसने मुझे खिड़की से बाहर पेड़ों को देखने के लिए बुलाया, संतरों से भरे हुए, और जिसकी शाखाएं हवा से झूल रही थी। 
यह बताते हुए कि तना हवा में बिलकुल नहीं हिल रही थी, मेरे परामर्शदाता ने समझाया, “हम भी कुछ इसी प्रकार हैं। जब जीवन हर दिशा से हम पर प्रहार कर रहा हो, तो निश्चित ही हमारी भावनाएं ऊपर और नीचे और चारों-ओर जाएंगी। हमारा लक्ष्य आपको अपना जड़ या तना खोजने में मदद करना है। इस तरह, जब जीवन हर तरफ से खींच रहा हो, तो आप अपनी शाखाओं में नहीं रह सकते हैं फिर भी आप सुरक्षित और स्थिर रहेंगे।”
यह एक छवि है जो मेरे साथ रहा; और यह पौलुस द्वारा इफिसियों के नए विश्वासियों को दी गयी छवि से मिलती जुलती है। परमेश्वर के अविश्वसनीय उपहार की याद दिलाते हुए अर्थात् अद्भुत उद्देश्य और महत्त्व का नया जीवन (इफिसियों 2:6-10), पौलुस ने अपनी तीव्र इच्छा साझा किया कि वे मसीह के प्रेम में “जड़ पकड़कर और नेव डाल कर” स्थापित हो चुके थे (3:17), और “उपदेश के हर एक झोंके से उछाले और इधर-उधर घुमाए”(4:14) नहीं जाते थे।
अपने दम पर, अपने डर और असुरक्षाओं से ग्रसित, असुरक्षित और नाजुक महसूस करना आसान है, लेकिन जब हम मसीह में अपनी वास्तविक पहचान में बढ़ते हैं (पद.22-24), हम परमेश्वर के साथ और एक दूसरे के साथ गहरी शांति का अनुभव करते हैं (पद.3), मसीह की सामर्थ्य और सुन्दरता द्वारा पोषित और संभाले हुए (पद.15-16) l