अपनी पुस्तक रेस्टलेस फैथ(Restless Faith) में, धर्मशास्त्री रिचर्ड मू अतीत के पाठों को याद करने के महत्त्व के बारे में बात करते हैं। वह समाजशास्त्री रोबर्ट बेला का हवाला देते हैं, जिसने कहा कि “स्वस्थ राष्ट्रों को ‘सामुदायिक स्मृति’” होना चाहिए। बेला ने उस सिद्धांत को अन्य सामाजीय बंधन जैसे परिवारों तक बढ़ाया है। याद रखना समुदाय में रहने का तू महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पवित्रशास्त्र भी सामुदायिक स्मृति के मूल्य को सिखाता है। इस्राएलियों को फसह का पर्व उनको याद दिलाने के लिए दिया गया था कि परमेश्वर ने उनको मिस्र के दासत्व से निकालने के लिए क्या किया था (देखें निर्गमन 12:1-30) l आज भी, संसार के सभी भागों से यहूदी लोग हर बसंत के मौसम में उस समृद्ध सामाजिक स्मृति को देखने आते हैं।
फसह का पर्व मसीह के अनुयायियों के लिए भी महान अर्थ रखता है, क्योंकि फसह हमेशा क्रूस पर मसीह(Messiah) के कार्य की ओर इंगित किया है। यह फसह का समय था, क्रूस पर जाने से पूर्व रात्रि को, कि यीशु ने अपना स्मारक मेज स्थापित किया। लूका 22:19 लिखता है, “उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए दी जाती है : मेरे स्मरण के लिए यही किया करो l”
हर समय जब हम प्रभु भोज मनाने के लिए प्रभु की मेज के समीप इकठ्ठा होते हैं, हम याद करते हैं कि मसीह ने हमें पाप के दासत्व से बचाया है और हमें अनंत जीवन दिया है। काश यीशु के प्रेम का बचाने वाला प्रेम हमें स्मरण दिलाए कि उसका क्रूस – मिलकर – याद करने करने के योग्य है।