“अरे नहीं!” रसोई में कदम रखते ही मेरी पत्नी की आवाज़ सुनायी दी। जिस क्षण वह बोली, हमारे नब्बे पाउंड का लैब्राडोर “मैक्स” कमरे से उत्तर दिया। मांस का वह टुकड़ा गायब था जो पटल के किनारे बहुत निकट रखा था। मैक्स ने उसे खा लिया था, और खाली बर्तन छोड़ दिया था। वह पलंग के नीचे छिपने का प्रयास कर रहा था। लेकिन केवल उसका सिर और उसके कंधे उसमें समा सके। उसके शरीर का खुला हुआ पिछला भाग और पूँछ ने उसके छिपने को धोखा दिया था जब मैं उसको खोजने गया।
“ओह, मैक्स,” मैं धीमी आवाज़ में बोला, “तुम्हारा ‘पाप’ तुम्हें ढूंढ़ निकालेगा।” यह वाक्यांश मूसा से लिया गया है, जब वह इस्राएल के दो गोत्रों को परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहने और अपना वचन पूरा करने को समझाता है। उसने उनसे कहा : “परन्तु यदि तुम ऐसा न करोगे, तो प्रभु के प्रति पाप करोगे। इस बात को जान लो, तुम्हारा पाप तुम्हें ढूंढ़ निकालेगा” (गिनती 32:23 – Hindi-CL)। 
पाप एक क्षण के लिए अच्छा लग सकता है, परन्तु यह परमेश्वर से अलग होने के अंतिम पीड़ा का कारण बनता है। मूसा अपने लोगों को याद दिला रहा था कि परमेश्वर कुछ भी नहीं भूलता है। जिस तरह बाइबल का एक लेखक कहता है, “सृष्टि की कोई वस्तु उससे छिपी नहीं है वरन् जिस से हमें काम है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट है” (इब्रानियों 4:13)
यद्यपि, सभी कुछ देखकर, हमारा पवित्र परमेश्वर हमें प्रेम से अपने पाप को स्वीकार करने के लिए, उससे मन फिराने के लिए (उससे मुँह मोड़ने के लिए), और उसके साथ सही तरीके से चलने के लिए बुलाता है (1 यूहन्ना 1:9)। आज हम प्रेम में होकर उसका अनुसरण करें।