Month: मई 2020

अपने आँसू परमेश्वर के पास ले जाएँ

पिछली गर्मियों में, तलेक्वा(Talequah) नामक एक व्हेल (मछली) ने जन्म दिया l हत्यारे व्हेल(killer whales) तलेक्वा जलीय स्तनधारियों (aquatic mammals) का समूह लुप्तप्रायः (endangered) था, और उसका नवजात भविष्य के लिए उनकी आशा थी l लेकिन उसका बच्चा एक घंटे से कम तक जीवित रहा l दुःख के इस दृश्य में जिसे दुनिया भर के लोग देख रहे थे, तलेक्वा ने अपने मृत बच्चे को छोड़ने से पहले सत्रह दिनों तक प्रशांत महासागर के ठन्डे पानी में धकेलती रही l
कभी-कभी मसीह में विश्वासियों को यह जानने में कठिनाई होती है कि दुःख के साथ क्या किया जाए l शायद हम डरते हैं कि हमारा दुःख आशा की कभी की तरह दिख सकता है l लेकिन बाइबल हमें मनुष्यों के कई उदाहरण देती है जो दुःख में परमेश्वर को पुकारते हैं l विलाप और आशा दोनों एक वफादार प्रतिक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं l
विलापगीत पांच कविताओं की पुस्तक है जो उन लोगों के दुःख को व्यक्त करती है जो अपना घर खो चुके हैं l वे दुश्मनों द्वारा अहेर किये गए थे और मृत्यु के निकट थे (3:52-54). और वे रोते हैं और भगवान् से न्याय करने के लिए पुकारते हैं( पद.64) l वे परमेश्वर से न्याय लाने के लिए रोते और उसको पुकारते हैं l वे परमेश्वर को इसलिए नहीं पुकारते हैं कि उन्होंने आशा खो दी है, परन्तु इसलिए कि वे भरोसा करते हैं कि परमेश्वर सुन रहा है l और जब वे पुकारेंगे, परमेश्वर अवश्य ही निकट आता है (पद. 57) l
हमारे संसार में और अपने जीवन में टूटी वस्तुओं के विषय विलाप करना गलत नहीं है l परमेश्वर हमेशा सुन रहा है, और आप निश्चित हो सकते हैं की परमेश्वर स्वर्ग से नीचे देखेगा और आपको देखेगा l

चाक़ू स्वर्गदूत

जब यूनाइटेड किंगडम(यू.के.) में चाकू अपराध बढ़ गया, तो ब्रिटिश आएरनवर्क सेन्टर एक विचार लेकर आया l स्थानीय पुलिस बलों के साथ काम करते हुए, सेन्टर ने देश भर में दो सौ डिपाजिट बॉक्स बनाए और एक आम माफ़ी अभियान चलाया l एक लाख चाकू गुमनाम रूप से आत्मसमर्पण कर दिए गए, कुछ एक के धार पर अभी भी खून था l इसके बाद उन्हें कलाकार एल्फी ब्रैडली के पास भेज दिया गया, जिन्होंने कुछ चाकुओं के धार को भोथरा कर दिया, कुछ एक चाकुओं पर उन्होंने चाक़ू-अपराध से पीड़ित युवा शिकारों के नाम के साथ पूर्व-दोषियों के खेद सन्देश खुदवा दिए l उसके बाद सभी 100,000 चाकू जोड़कर एक चाकू स्वर्गदूत (Knife Angel) बनाया गया – झिलमिलाती स्टील के पंखों के साथ सत्ताईस फीट ऊंची स्वर्गदूत की मूर्ति l
जब मैं चाक़ू स्वर्गदूत (Knife Angel) के निकट खड़ा था, मैंने सोचा कि इसके अस्तित्व से  कई हज़ार घाव बनने से रुक गए l मैं भी यशायाह का नया आकाश और नयी पृथ्वी के दर्शन के विषय सोचा (यशायाह 65:17), एक स्थान जहाँ छोटे बच्चों की मृत्यु न होगी (पद.20) या अपराध उत्पन्न करनेवाली गरीब में उनका पालन पोषण नहीं होगा(पद.22-23), एक स्थान जहां चाक़ू अपराध अब नहीं है क्योंकि समस्त तलवारों को पुनः आकार दिया गया है और उनको और अधिक रचनात्मक उद्देश्य दिए गए हैं (2:4) l
वह नया संसार अभी यहाँ नहीं है, परन्तु हमें प्रार्थना करना है और उसके आने तक सेवा करना है (मत्ती 6:10) l उसके अपने तरीके में, यह चाक़ू स्वर्गदूत(Knife Angel) हमें परमेश्वर के प्रतिज्ञात भविष्य की झलक देता है l तलवार हल के फाल बन जाते है l हथियार कला कार्य बन जाते हैं l हम उस भविष्य की थोड़ी और झलक पाने के लिए कौन सी छुटकारा देनेवाली परियोजनाएँ पर विचार कर सकते हैं?

हर्षरुपी तेल

यदि आप किसी फिल्म में यीशु का भाग निभाते, तो आप इस भूमिका को कैसे निभाते? ब्रूस मार्शिआनो ने इसी चुनौती का सामना किया, जिसने 1993 में दृश्य बाइबल फिल्म मैथ्यू(Mathew) में यीशु की भूमिका निभायी l यह जानकार कि लाखों दर्शक उसके काम के आधार पर यीशु के बारे में निष्कर्ष निकालेंगे, मसीह को “सही” तौर पर पेश करने का भार उसको अभिभूत कर रहा था l वह घुटनों पर गिर गया और उसने यीशु से अनुनय किया – हां, यीशु के लिए l
ब्रूस ने इब्रानियों के पहले अध्याय से अंतर्दृष्टि प्राप्त की, जहाँ लेखक बताता है कि कैसे परमेश्वर पिता ने पुत्र को “हर्षरुपी तेल से” (1:9) अभिषेक करके अलग किया l इस प्रकार का आनंद एक उत्सव है – पिता के साथ सम्बन्ध जो पूर्ण हृदय से व्यक्त किया गया है l यीशु के हृदय पर इस तरह का आनंद जीवन भर राज्य किया l जिस प्रकार इब्रानियों 12:2 वर्णन करता है, “जिसने उस आनंद के लिए जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिंता न करके क्रूस का दुःख सहा, और परमेश्वर के सिंहासन की दाहिनी ओर जा बैठा l”
पवित्र वचन की इस अभिव्यक्ति से अपना सम्बन्ध रखते हुए, ब्रूस ने अपने उद्धारकर्ता का आनंद से भरा विशिष्ट चित्रण पेश किया l परिणामस्वरूप, वह “मुस्कुराता हुआ यीशु” के रूप में जाना जाने लगा l हम भी अपने घुटनों पर जाने की हिम्मत कर सक सकते हैं और “यीशु से यीशु के लिए अनुनय कर सकते हैं l” काश वह अपना चरित्र हममें भर दे ताकि चारों ओर के लोग उसके प्रेम का प्रगटीकरण हममें देख सकें l

जहां चुनाव ले जाता है

किसी भी मोबाइल सेवा और मार्ग नक़्शे के बिना, हम आरम्भ से ही एक निश्चित नक़्शे की याद रखकर उसी के मार्गदर्शन में चल रहे थे l एक घंटे से अधिक समय के बाद, हम जंगल में से पार्किंग स्थल में पहुँच गए l मोड़ को भूलने पर जिससे हम आधी मील के भीतर यात्रा पूरी कर लेते, हमें कहीं अधिक लम्बी पैदल यात्रा करनी पड़ी l
जीवन ऐसा हो सकता है : हमें सरलता से यह नहीं पूछना है कि क्या कुछ सही है या गलत, परन्तु यह कहाँ ले जाएगा l भजन 1 जीवन जीने के दो तरीकों की तुलता करता है – धर्मी का (वे जो परमेशवर से प्यार करते हैं) और दुष्ट का (परमेश्वर से प्रेम करनेवालों के शत्रु) l धर्मी वृक्ष के समान फलते-फूलते हैं, परन्तु दुष्ट भूसी के समान उड़ जाते हैं (पद.3-4) l यह भजन प्रगट करता है कि फलना फूलना वास्तव में कैसा होता है l जो ऐसा जीवन जीता है वह नवीनीकरण और जीवन के लिए परमेश्वर पर निर्भर रहता है l
इसलिए हम किस प्रकार इस प्रकार का व्यक्ति बन सकते हैं? दूसरी चीजों में, भजन 1 हमसे विनाशकारी संबंधों और अस्वास्थ्यकर आदतों से अलग रहने और परमेश्वर के निर्देशों में आनंदित रहने का आग्रह करता है (पद.2) l आखिरकार, हमारे फलने फूलने का कारण परमेश्वर का हम पर ध्यान देना है : “यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है” (पद.6) l
अपने सारे मार्ग परमेश्वर पर डाल दो
,
उसे पुराने नमूनों से आपको पुनः निर्दिष्ट(
re-direct)
करने दें जो व्यर्थ की ओर ले जाते हैं और पवित्र वचन को दरिया बनने दें जो आपके हृदय की जड़ प्रणाली को पोषित करता है
l