एक मोटरसाइकिल प्रदर्शन में जहाँ मोटरसाइकिल चलानेवालों ने असाधारण करतब दिखाए, तो देखने के लिए मुझे अपने पंजों के बल खड़ा होना पड़ा l चचारों ओर घूमकर, मैंने देखा कि तीन बच्चे पास के पेड़ पर बैठे थे, जाहिर है क्योंकि वे भी करतब को देखने के लिए भीड़ के सामने नहीं आ सकते थे l

बच्चों को अपने ऊंचे स्थान से ताकते हुए देखकर, मैं जक्कई के विषय सोचने को मजबूर हुआ, जिसे लूका एक धनी चुंगी लेनेवाले के रूप में बताता है (लूका 19:2) l यहूदी अक्सर चुंगी लेनेवालों को देशद्रोही के रूप में देखते थे क्योंकि वे रोमी सरकार के लिए साथी इस्राएलियों से कर वसूलने, के साथ अपने व्यक्तिगत बैंक खातों को भरने के लिए अक्सर अतिरिक्त धन की मांग करते थे l इसलिए शायद जक्कई को उसके समुदाय से निकाल दिया गया था l

जब यीशु यरीहो से गुज़रा, जक्कई उसे देखना चाहता था परन्तु भीड़ के कारण उसे देखने में असफल था l इसलिए, शायद निराश और अकेला महसूस करते हुए, गूलर के पेड़ पर चढ़कर उसने उसकी एक झलक पाने की कोशिश की (पद.3-4) l और वहां पर, भीड़ के किनारे, यीशु ने उसे खोज निकाला और उसके घर पर एक अतिथि होने की घोषणा की (पद.5) l

जक्कई की कहानी हमें स्मरण दिलाती है कि यीशु अपनी मित्रता और उद्धार का उपहार पेश करते हुए “खोए हुओं को ढूँढने और उनका उद्धार करने आया” (पद.9-10) l यहाँ तक कि यदि हम अपने को अपने समुदायों के किनारों पर महसूस करते हैं, “भीड़ के पीछे धकेल दिए जाते हैं,” हम आश्वस्त रहें कि, वहां भी, यीशु हमें खोज लेता है l