जब स्कूल का साल शुरू हुआ, चौदह वर्षीय संदीप हर दोपहर बस से कूदकर उतर जाता और अपने घर की सड़क पर नाचता हुआ जाता l उसकी माँ ने संदीप के स्कूल के बाद के रॉक संगीत के समय का विडियो बनाया और साझा किया l वह नाचता था क्योंकि वह जीवन का आनंद लेता था और हर कदम के साथ “लोगों को खुश करता था l” एक दिन, दो कचरा बीनने वालों ने अपने व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर उस जवान बच्चे के साथ जो दूसरों को अपने साथ नाचने के लिए प्रेरित करता था, पैर घसीट कर चले, पैरों पर तेजी से घूमें और झूमे l यह तिकड़ी ईमानदार और फैलने वाले आनंद की शक्ति को दर्शाती है l

भजन 149 का लिखने वाला स्थायी और शर्तहीन आनंद का श्रोत – परमेश्वर  – का वर्णन करता हैं l भजनकार परमेश्वर के लोगों से एक साथ मिलकर “यहोवा के लिए एक नया गीत गाने” को कहता है (पद.1) l वह इस्राएल से “अपने कर्ता के कारण आनंदित” होने और “अपने राजा के कारण मगन” होने के लिए आमंत्रित करता है (पद.2) l वह हमें उसके साथ नाचते हुए उसके नाम की स्तुति करने को कहता है (पद.1-3) l क्यों? क्योंकि “यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है; वह नम्र लोगों का उद्धार करके उन्हें शोभायमान करेगा” (पद.4) l

हमारे प्रेममय पिता ने हमें बनाया और इस सृष्टि को संभालता है l वह हममें सिर्फ इसलिए प्रसन्न रहता है क्योंकि हम उसके प्यारे बच्चे हैं l उसने हमें बनाया, हमें जानता है, और हमें अपने साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाने के लिए आमंत्रित करता है l कितना बड़ा सम्मान है! हमारा प्रेमी और जीवित परमेश्वर ही हमारे सदा के आनंद का कारण है l हम उसकी निरंतर उपस्थिति के उपहार में आनंदित हो सकते हैं और हमारे सृष्टिकर्ता द्वारा हमें दिए गए हर दिन के लिए आभारी हो सकते हैं l