मेरा क्रोध तब तेज़ हो गया जब एक महिला ने मेरे साथ बदसलूकी की, मुझे दोषी ठहराया और मेरे बारे में बकवास की l मैं चाहती थी कि हर कोई यह जान जाए कि उसने क्या किया है – मैं चाहती थी कि उसको भी तकलीफ हो जैसे उसके व्यवहार के कारण मुझे तकलीफ हुई थी l मैं तब तक आक्रोष में डूबी रही, जब तक कि मेरी कनपटी में दर्द नहीं हुआ l लेकिन जैसा कि मैंने अपने दर्द के दूर होने के लिए प्रार्थना करना शुरू किया, पवित्र आत्मा ने मुझे दोषी ठहराया l राहत के लिए परमेश्वर से भीख मांगते हुए मैं कैसे बदला लेने की योजना बना सकती? अगर मुझे भरोसा है कि वह मेरी देखभाल करेगा, तो मैं इस स्थिति को संभालने के लिए उस पर भरोसा क्यों नहीं कर सकती थी? यह जानते हुए कि जो लोग आहत हैं, वे अक्सर दूसरे लोगों को आहत करते हैं, मैंने परमेश्वर से कहा कि वह मुझे उस स्त्री को माफ़ करने और सुलह की दिशा में काम करने में मदद करे l

भजनकार दाऊद ने अनुचित व्यवहार को सहन करते हुए परमेश्वर पर भरोसा करने की कठिनाई को समझा l हालाँकि दाऊद ने एक प्यार करने वाले सेवक होने की पूरी कोशिश की, राजा शाऊल ने ईर्ष्या के आगे घुटने टेक दिए और उसकी हत्या करना चाहा (1 शमूएल 24:1-2) l दाऊद को तब तक तकलीफ झेलनी पड़ी जब परमेश्वर ने बातों को हल किया और उसे सिंहासन लेने के लिए तैयार किया, लेकिन फिर भी उसने बदला लेने की बजाय परमेश्वर का आदर करने का चुनाव किया (पद.3-7) l उसने शाऊल के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए अपनी जिम्मेदारी पूरी की और परिणाम परमेश्वर के हाथों में छोड़ दिया (पद.8-22) l

जब ऐसा लगता है कि दूसरे लोग गलत कामों के परिणाम से बच रहे हैं, हम अन्याय के साथ संघर्ष करते हैं l लेकिन हमारे दिलों और दूसरों के दिलों में परमेश्वर की करुणा के काम के साथ, हम क्षमा कर सकते हैं जैसे उसने हमें माफ़ कर दिया है और वह आशीष प्राप्त कर सकते हैं जो उसने हमारे लिए तैयार किया है l