“आपके पिता की मृत्यु सक्रिय रूप से हो रही है,” मरणासन्न रोगियों के आश्रय स्थल(hospice) की नर्स बोली l “सक्रिय रूप से मृत्यु होना” मरने की प्रक्रिया की अंतिम चरण को संदर्भित करता है और मेरे लिए एक नया शब्द था, अजीब तरह से एक एकल सड़क पर यात्रा करने जैसा महसूस होना l मेरे पिता के अंतिम दिन, नहीं जानते हुए कि वे हमारी सुन पा रहे हैं कि नहीं, मेरी बहन और मैं उनके बिस्तर के निकट बैठ गए l हमने उनके सुन्दर गंजे सिर को चूमा l हमने उनको परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं फुसफुसायी l हमने एक गाना गया और 23वाँ भजन उद्धृत किया l हमने उन्हें बताया कि हम उनसे प्यार करते हैं और हमारे पिता होने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया l हमें पता था कि उनका दिल यीशु के साथ रहने के लिए लालायित था, और हमने उनसे कहा कि वह जा सकते हैं l उन शब्दों को बोलना जाने देने के लिए पहला कठिन कदम था l कुछ मिनटों के बाद, हमारे पिताजी का उनके शास्वत घर में ख़ुशी से स्वागत किया गया l
किसी प्रियजन का अंतिम छुटकारा कष्टदायक होता है l यहाँ तक कि यीशु के आँसू बह गए जब उसके अच्छे मित्र लाजर की मृत्यु हो गई (यूहन्ना 11:35) l लेकिन परमेश्वर के वादों के कारण, हमें शारीरिक मृत्यु के आगे आशा है l भजन 116:15 कहता है कि ईश्वर के “भक्त” – जो उसके हैं – उसके लिए “अनमोल” है l हालाँकि वे मर जाते हैं, वे फिर से जीवित होंगे l
यीशु प्रतिज्ञा करता है, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा, और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनंतकाल तक न मरेगा” (यूहन्ना 11:25-26) l यह जानने में हमें कितना सुकून मिलता है कि हम हमेशा के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में होंगे l
यीशु ने क्रूस पर अपने मृत्यु से क्या हासिल किया? उसका बलिदान हर उस व्यक्ति को कैसे प्रभावित करता है जो कभी जीवित रहा है?
प्रिय पिता, आपकी उपस्थिति में अनंत जीवन की प्रतिज्ञा के लिए आपको धन्यवाद l