आप क्या चुनेंगे – स्विट्जरलैंड में छुट्टी या प्राग में बच्चों को खतरे से बचाना? निकोलस विंटन, जो एक साधारण आदमी था, ने  बाद वाला चुना l 1938 में चेकोस्लोवाकिया और जर्मनी के बीच युद्ध क्षितिज पर लग रहा था l निकोलस ने प्राग में शरणार्थी शिविरों का दौरा करने के बाद, जहां कई यहूदी नागरिक भयानक परिस्थितियों में रहते थे, उसने मदद करने की योजना बनाने के लिए विवश हुआ l उसने द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत से पहले ब्रिटिश परिवारों द्वारा देखभाल के लिए प्राग से ग्रेट ब्रिटेन तक सुरक्षित रूप से सैकड़ों बच्चों को पहुंचाने के लिए धन जुटाया l

उसके कार्यों ने भजन 82 में उन लोगों के बारे में उदाहरण प्रस्तुत किया जो “कंगाल और निर्धन का न्याय [चुकाते] है” (पद.3) l इस भजन का लेखक आसफ,  अपने लोगों को इस कारण के लिए प्रवीण बनाना चाहते थे : “कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ” (पद.4) l जैसे बच्चों को बचाने के लिए निकोलस ने अथक प्रयास किया,  भजनकार ने उन लोगों के लिए बोला जो खुद के लिए नहीं बोल सकते थे – गरीब और विधवा जिन्हें न्याय और सुरक्षा की आवश्यकता थी l

आज हम हर जगह देखते हैं कि हम युद्ध, तूफान और अन्य कठिनाइयों के कारण लोगों को जरूरत को देखते हैं l हालाँकि हम हर समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं,  हम प्रार्थनापूर्वक विचार कर सकते हैं कि हम उन परिस्थितियों में मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं जो परमेश्वर हमारे जीवन में लाता है l