जब हम अपने ड्राइविंग स्कूल के प्रशिक्षक से ड्राइव करना सीख रहे थे, तो प्रशिक्षक हमेशा कहा करते थे कि हम सड़क को बारीकी से देखें, खतरों की पहचान करें, यह अनुमान लगाने के लिए कि खतरे क्या हो सकते हैं, तय करें कि हम कैसे प्रतिक्रिया करेंगे, और फिर, यदि आवश्यक हो, तो उस योजना को निष्पादित करें l यह दुर्घटनाओं से बचने के लिए जानबूझकर की जाने वाली रणनीति थी l

मैं सोचता हूँ कि यह विचार हमारे आध्यात्मिक जीवन में कैसे स्थानांतरित हो सकता है l  इफिसियों 5 में, पौलुस ने इफिसियों के विश्वासियों से कहा, ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो : निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमान के समान चलो” (पद.15) l पौलुस जानता था कि कुछ ख़तरनाक बाधाएँ इफिसियों को पटरी से उतार दे सकते थे – यीशु में उनके नए जीवन के साथ जीवन के पुराने तरीकों का संघर्ष (पद.8, 10-11) l इसलिए उसने उन्नति कर रही कलीसिया को ध्यान देने का निर्देश दिया l

अनुवादित शब्द “ध्यान से देखो, कि कैसी चलते हो” का शाब्दिक अर्थ है “देखें कि आप कैसे चलते हैं l” दूसरे शब्दों में, चारों ओर देखो l खतरों पर ध्यान दें,  और मतवालापन और निरंकुश जीवन (पद.18) जैसे व्यक्तिगत खतरों से बचें l इसके बजाय, प्रेरित ने कहा, हम अपने जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा को खोज सकते हैं (पद.17), जबकि, साथी विश्वासियों के साथ,  हम गाते हैं और उसे(परमेश्वर को) धन्यवाद देते हैं पद.19-20) l

कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किस खतरे का सामना करते हैं – और यहां तक ​​कि जब हम ठोकर खाते हैं – हम मसीह में अपने नए जीवन का अनुभव कर सकते हैं जब हम उसकी असीम सामर्थ्य और अनुग्रह पर निर्भरता में उन्नति करते हैं l