लिजीयू की थेरेस Thérèse of Lisieux (एक फ़्रांसिसी नन/मठवासिनी जो चर्च की एक प्रमुख सदस्य थी) एक खुशहाल और चिंतामुक्त लड़की थी- जब तक कि उसकी माँ की मृत्यु नहीं हुई जब वह सिर्फ चार साल की थी l वह संकोची हो गयी और आसानी से उत्तेजित हो जाती थी l लेकिन कई साल बाद क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, वह सब कुछ बदल गया l अपने चर्च समुदाय के साथ यीशु के जन्म का जश्न मनाने के बाद, उसने परमेश्वर को उसके भय से मुक्त करने और उसे ख़ुशी देने का अनुभव किया l उसने परमेश्वर को जिसने स्वर्ग छोड़ा और एक मनुष्य, यीशु बना, और जिसने उसके अन्दर निवास किया, उसी की सामर्थ्य को कारण बताया l 

मसीह का हमारे भीतर बसने का क्या मतलब है? यह एक रहस्य है, पौलुस ने कुलुस्से के चर्च से कहा l यह वह है जिसे परमेश्वर ने “समयों और पीढ़ियों से गुप्त” रखा” (कुलुस्सियों 1:26), लेकिन उसने परमेश्वर के लोगों पर प्रगट किया l परमेश्वर ने “उस भेद की महिमा का मूल्य . . . . . यह है कि मसीह जो महिमा की आशा है तुम में वास करता है” (पद.27) उन पर खुलासा किया l क्योंकि मसीह अब कुलुस्सियों में वास करता था, उन्होंने नए जीवन की ख़ुशी का अनुभव किया l अब वे पाप के पुराने व्यक्तित्व के दास नहीं थे l 

यदि हमने यीशु को अपना उद्धारकर्ता माना है, तो हम भी उसके हमारे अन्दर निवास के इस रहस्य को जीते हैं l उसकी आत्मा के द्वारा, वह हमें भय से मुक्त कर सकता है, जैसा कि उसने थेरेस को किया था, और हमारे भीतर अपनी आत्मा का फल, जैसे आनंद, शांति और आत्म-नियंत्रण विकलित कर सकता है (गलातियों 5:22-23) l

आइये हम अपने भीतर मसीह के अद्भुत रहस्य के लिए धन्यवाद दें l