प्रत्येक रात, जब छोटे केलब ने अपनी आँखें बंद कीं, उसने महसूस किया कि अंधेरा उसे ढक रहा है । कोस्टा रिका में लकड़ी के घर की चरमराहट से उसके कमरे की चुप्पी लगातार स्थगित हो जाती थी l फिर अटारी में चमगादड़ अधिक सक्रिय हो गए । उसकी माँ ने उसके कमरे में  नाईट लाइट लगा दी थी, लेकिन छोटे लड़के को अभी भी अंधेरे का डर था । एक रात केलब के पिता ने उसके बिस्तर के पावदान पर बाइबल का पद लिख दिया l उसमें लिखा था : “मजबूत और साहसी बनो l भय न खा . . . क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा” (यहोशु 1:9) l केलब ने हर रात उन शब्दों को पढ़ना शुरू किया — और उसने अपने फुटबोर्ड पर लिखा वादा परमेश्वर से मिला हुआ महसूस किया जब तक वह कॉलेज नहीं गया ।

यहोशू 1 में, हमने मूसा के मरने के बाद यहोशू को दिए गए नेतृत्व परिवर्तन के बारे में पढ़ा l  “मजबूत और साहसी” बनने की आज्ञा यहोशु और इस्राएलियों को कई बार दोहराई गई थी ताकि इसके महत्व पर जोर दिया जा सके (पद.6–7, 9) । निश्चित रूप से, उन्होंने एक अनिश्चित भविष्य का सामना करने के साथ ही घबराहट महसूस की, लेकिन परमेश्वर ने आश्वस्त होकर कहा, “जैसे मैं मूसा के संग रहा वैसे ही तेरे संग भी रहूँगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा और न तुझ को छोडूंगा” (यहोशु 1:5) l

भय का होना स्वाभाविक है, लेकिन लगातार भय की स्थिति में रहना हमारे शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । जिस तरह परमेश्‍वर ने पुराने समय के अपने सेवकों को प्रोत्साहित किया, उसी तरह हम भी उसके कारण जिसने हमेशा हमारे साथ रहने का वादा करता है मज़बूत और साहसी हो सकते हैं ।