मई 2019 में मानसून की विफलता के कारण चेन्नई शहर को पानी की बड़ी कमी का सामना करना पड़ा । सड़कों पर प्लास्टिक के बर्तनों की कतारें पानी के ट्रकों का इंतजार करती थीं, जो सूखे से पीड़ित स्थानीय लोगों को सीमित मात्रा में पानी पहुंचाती थीं । उपनगरों में जहां माना जाता है कि हरियाली होनी चाहिये, सूखी घास और सूखे पौधे अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की बूंदों का इंतजार करते थे ।

सूखे पौधे और खरपतवार ही हैं, जिसकी मैं कल्पना करता हूँ जब मैं यिर्मयाह में एक व्यक्ति का वर्णन पढ़ता हूं, “जिसका मन यहोवा से भटक जाता है” (यिर्मयाह 17: 5) । वह कहता है कि जो लोग “मनुष्य” से अपनी ताकत पाते हैं, वे “निर्जल देश के अधमरे पेड़ के समान [होंगे]” और कभी भलाई न [देखेंगे]” (पद.5-6) l इसके ठीक उलट वे लोग हैं जो लोगों के बजाय परमेश्वर पर अपना भरोसा रखते हैं, पेड़ों की तरह, उनकी मजबूत, गहरी जड़ें उससे ताकत खींचती हैं, जिससे वे जीवन से भरे रहते हैं, यहां तक ​​कि सूखे जैसी परिस्थितियों में भी ।

सूखे पौधे और पेड़ दोनों की जड़ें होती हैं, फिर भी यदि पौधे अपने जीवन-स्रोत से जुड़े नहीं रहते, तो वे सूख जाते हैं और मर जाते हैं । दूसरी ओर, पेड़ अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, जिससे वे फलने-फूलने और जीवित रहने में सक्षम होते हैं, जो कि कठिनाई के समय उन्हें बनाए रख सकता है । जब हम परमेश्‍वर के लिए उपवास रखते हैं, और बाइबल में उपस्थित बुद्धि से ताकत और हौसला बढ़ाते हैं और प्रार्थना में उससे बात करते हैं, हम भी जीवन-यापन, जीवन-निर्वाह के पोषण का अनुभव कर सकते हैं ।