परमेश्वर हमें थामता है
दक्षिण अफ्रीका का एक व्यक्ति जिसका नाम फ्रेडीब्लोम है, 2018 में 114 वर्ष का हो गया, जिसे सबसे वृद्ध जीवित व्यक्ति के रूप में मान्यता मिली । 1904 में जन्मे, वह दोनों विश्व युद्ध, रंगभेद और आर्थिक मंदी में जीवित था । जब उसकी लंबी उम्र का रहस्य पूछा गया, तो उसने केवल अपने कंधे उचकाए l हम में से कई लोगों की तरह, उसने हमेशा उन खाद्य पदार्थों और प्रथाओं को नहीं चुना जो तंदुरुस्ती बढाते हैं l हालाँकि, वह अपने उल्लेखनीय स्वास्थ्य के लिए एक कारण अवश्य प्रस्तुत करता है : “केवल एक ही चीज़ है, और वह [परमेश्वर] है । उसके पास सारी शक्ति है . . . वह मुझे थामता है l”
यह उन शब्दों के समान है जो परमेश्वर ने इस्राएल से कहे थे, जब वह राष्ट्र भयंकर दुश्मनों के उत्पीड़न के तहत कुम्हला गया । परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की, “मैं तुझे दृढ़ करूँगा और तेरी सहायता करूँगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे संभाले रहूँगा” (यशायाह 41:10) l कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी स्थिति कितनी निराशाजनक थी, कितनी मुश्किल कठिनाई है कि क्या वे कभी राहत पाएंगे, परमेश्वर ने अपने लोगों को आश्वासन दिया कि वे उसकी कोमल देखभाल में थामे गए थे । “मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ,” उसने दृढ़ता से कहा l “इधर उधर मत ताक, क्योकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ” (पद.10) l
कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमें कितने साल दिए गए हैं, जीवन की कठिनाइयां हमारे दरवाजे पर दस्तक देंगी । एक परेशान विवाह । परिवार को त्यागने वाला बच्चा । चिकित्सक से भयभीत करनेवाला समाचार प्राप्त करना । यहां तक कि सताव भी । हालाँकि, हमारा परमेश्वर हमारे पास पहुँचता है और हमें दृढ़ता से थामता है । वह हमें अपने मजबूत, कोमल बाहों में समेट कर थामता है l
परदेशी से प्रेम
जब मैं एक नए देश में गया, तो मेरे पहले अनुभवों में से एक ने मुझे अवांछनीय महसूस कराया । उस दिन छोटे से चर्च में एक सीट मिलने के बाद, जहाँ मेरे पति प्रचार कर रहे थे, एक अशिष्ट वृद्ध सज्जन ने मुझे चौंका दिया, जब उन्होंने कहा, “और पीछे की ओर बढ़िए l” उनकी पत्नी ने माफी मांगी क्योंकि उन्होंने बताया कि मैं हमेशा उनके कब्जे वाले बेंच में बैठी थी l वर्षों बाद मुझे पता चला कि मण्डली ने बेंचों को किराए पर दिया करती थी, जिसने चर्च के लिए धन जुटाया जा सके और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी व्यक्ति दूसरे की सीट नहीं ले सकता । जाहिर है कि वह मानसिकता कुछ दशकों तक चलती रही l
बाद में, मैंने इस बात पर विचार किया कि कैसे परमेश्वर ने इस्राएलियों को परदेशियों का स्वागत करने का निर्देश दिया, सांस्कृतिक प्रथाओं के विपरीत जिसका सामना मैंने किया l उन व्यवस्थाओं को स्थापित करने में जो उनके लोगों को फलने-फूलने देंगे, उसने उन्हें परदेशियों का स्वागत करने के लिए याद दिलाया क्योंकि वे खुद एक समय परदेशी थे (लैव्यव्यवस्था 19:34) । केवल उन्हें परदेशियों के साथ दयालुता (पद.33) ही नहीं बरतनी थी, बल्कि उन्हें उनसे “अपने ही समान प्रेम रखना” था” (पद.34) । परमेश्वर ने उन्हें मिस्र में उत्पीड़न से बचाकर, उन्हें एक देश दिया था जिसमें “दूध और मधु” की धाराएँ बहती हैं (निर्गमन 3:17) । वह उम्मीद करता था कि उसके लोग दूसरों से प्यार करेंगे, जिन्होंने अपना घर वहां बनाया था l
जब आप अपने बीच में अजनबियों से सामना करते हैं, परमेश्वर से किसी भी सांस्कृतिक प्रथाओं को प्रकट करने के लिए कहें जो आपको उनके साथ अपने प्यार को साझा करने से रोक सकते हैं ।
खोयी हुई : बुद्धि
अमेरिका में एक दो साल का बच्चा लापता हो गया । फिर भी उसकी माँ के आपातकालीन कॉल के तीन मिनट के भीतर, एक वकील ने उसे मेले में घर से सिर्फ दो भवन समूह दूर पाया । उसकी माँ ने वादा किया था कि वह उस दिन बाद में अपने दादाजी के साथ जा सकता था l लेकिन उसने अपना खिलौना ट्रैक्टर वहाँ तक चलाया था, और उसे अपनी पसंदीदा झूले के निकट खड़ा कर दिया था । जब लड़का सुरक्षित घर आया, तो उसके पिता ने समझदारी से खिलौने की बैटरी निकाल दी ।
यह छोटा लड़का वास्तव में स्मार्ट था, जहां वह जाना चाहता था, लेकिन दो साल के बच्चे एक और महत्वपूर्ण गुण भूल रहे हैं : बुद्धि l और वयस्कों के रूप हमें भी कभी-कभी इसकी कमी होती है । सुलैमान, जिसे अपने पिता दाऊद द्वारा राजा नियुक्त किया गया था(1 राजा 2), ने स्वीकार किया कि वह एक बच्चे की तरह महसूस कर रहा था l परमेश्वर ने उसे एक सपने में दिखाई दिया और कहा, “जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूँ, वह मांग” (3:5) । उसने जवाब दिया, “मैं छोटा लड़का सा हूँ जो भीतर बाहर आना जाना नहीं जानता . . . तू अपने दास को अपनी प्रजा का न्याय करने के लिए समझने की ऐसी शक्ति दे, कि मैं भले बुरे को परख सकूँ : क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?” (पद.7–9) । परमेश्वर ने सुलैमान को “परमेश्वर ने सुलैमान को . . . समुद्र तट की बालू के किनकों के तुल्य अनगिनित हूँ दिए” (4:29) ।
हमें वह ज्ञान कहाँ से मील सकता है जिसकी हमें आवश्यकता है? सुलैमान ने कहा कि परमेश्वर का भय मानना “बुद्धि” का आरंभ हैं (नीतिवचन 9:10) l इसलिए हम उसे हमें सिखाने से आरम्भ कर सकते हैं कि हमें अपने विषय सिखाएँ और हमारी बुद्धि से परे हमें बुद्धि दें l
जीवन के ड्रैगन से युद्ध
क्या आपने कभी ड्रैगन से लड़ाई की है? यदि आपने उत्तर नहीं दिया है, तो लेखक यूजीन पीटरसन आपसे असहमत हैं । अपनी किताब लॉन्ग ओबेडियंस इन द सेम डायरेक्शन(Long Obedience in the Same Direction) में उन्होंने लिखा, “ड्रेगन हमारे डर के अनुमान हैं, सबसे अधिक भयानक सृजन जो हमें चोट पहुंचा सकते हैं . . . l जब एक किसान का सामना एक शानदार अजगर हुआ वह पूरी तरह निम्न/ओछा हो गया l” उसका मतलब? जीवन ड्रेगन से भरा हुआ है : खतरनाक स्वास्थ्य संकट, अचानक नौकरी की हानि, असफल विवाह, मनमुटाव उत्पन्न करनेवाला उड़ाऊ संतान l ये "ड्रेगन" जीवन के औसत से कहीं बड़े खतरे और भंगुरता हैं जिनसे हम अकेले लड़ने के लिए अपर्याप्त हैं ।
लेकिन उन लड़ाइयों में, हमारे पास एक चैंपियन है । एक परी कथा चैंपियन नहीं - परम चैंपियन जिसने हमारी ओर से लड़ाई लड़ी है और सभी ड्रेगन को जो हमें नष्ट करना चाहते हैं जीत लिया है । चाहे वे हमारी अपनी विफलताओं के ड्रेगन हों या आध्यात्मिक शत्रु जो हमारे विनाश की इच्छा रखता है, हमारा चैंपियन इन सबसे महान है, जो पौलुस को यीशु के बारे में लिखने की अनुमति देता है, “उसने प्रधानताओं और अधिकारों को ऊपर से उतारकर उनका खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के द्वारा उन पर जयजयकार की ध्वनि सुनाई” (कुलुस्सियों 2:15) । इस टूटे हुए संसार की विनाशकारी ताकतों का उसके सामने कोई मुकाबला नहीं है!
जिस क्षण हम महसूस करते हैं कि जीवन के ड्रेगन हमारे लिए बहुत बड़े हैं, वह क्षण है जिसमें हम मसीह के बचाव में विश्राम करना शुरू कर सकते हैं । हम भरोसे के साथ कह सकते हैं, “परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवंत करता है” (1 कुरिन्थियों 15:57) ।