मेरी माँ, मेरी बहनें, और मैंने पिताजी के बिस्तर के निकट इंतजार किया क्योंकि उनकी साँसें समाप्त होने तक उथली और कम होती गई l पिताजी नवासी वर्ष से कुछ ही दिन कम थे,  जब वह इस जीवन के पार शांति से चले गए, जहाँ परमेश्वर उनकी प्रतीक्षा कर रहा था l उनका जाना हमें एक शून्य के साथ छोड़ गया जहां वह एक समय रहते थे और हमें याद दिलाने के लिए केवल यादें और स्मृति चिन्ह थे । फिर भी हमें उम्मीद है कि एक दिन हम फिर से मिलेंगे ।

हमारे पास वह आशा है क्योंकि हम मानते हैं कि पिताजी परमेश्वर के साथ हैं, जो उन्हें जानता है और उनसे प्यार करता है । जब पिताजी ने अपनी पहली सांस ली, तब परमेश्वर उनके फेफड़ों में सांस भर रहा था (यशायाह 42:5) । फिर भी उनके पहले और बीच में हर सांस के साथ, परमेश्वर पिताजी के जीवन के प्रत्येक विवरण में अंतरंग रूप से शामिल था, जैसे वह आपके और मेरे में है l यह परमेश्वर था जिसने उन्हें गर्भ में अद्भुत रूप से अभिकल्पित किया था और एक साथ “बुना” था (भजन 139: 13-14) । और जब पिताजी ने अपनी अंतिम सांस ली, तो परमेश्वर की आत्मा वहाँ थी, उसे प्यार से पकड़कर अपने साथ ले जा रही थी (पद.7-10) l

परमेश्वर के सभी बच्चों के लिए भी यही सच है । वह पृथ्वी पर हमारे संक्षिप्त जीवन का प्रत्येक क्षण जानता है (vv। 1-4) । हम उसके लिए अनमोल हैं । शेष प्रत्येक दिन और उससे आगे के जीवन की प्रत्याशा में, उसकी प्रशंसा करने के लिए “जितने भी प्राणी हैं” सब के सब याह की स्तुति करें l “याह की स्तुति करो l”