अभी हाल ही में मैं दोस्तों के एक समूह से मिला । जब मैंने बातचीत सुनी, तो ऐसा लगा कि कमरे में हर कोई किसी ख़ास लड़ाई का सामना कर रहा था । हममें से दो के माता-पिता कैंसर से लड़ रहे थे, एक के बच्चे को भोजन विकार(eating disorder) की बीमारी थी, एक और दोस्त पुराने दर्द का सामना कर रहा था, और दूसरे की बड़ी शल्यचिकित्सा तय थी l तीस से चालीस उम्र के लोगों के लिए यह बहुत अधिक महसूस हो रहा था l

पहला इतिहास 16 इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण को याद करता है जब वाचा के सन्दूक को दाऊद के नगर (यरूशलेम) में लाया गया था । शमुएल हमें बताता है कि यह लड़ाई के बीच शांति के एक पल में हुआ (2 शमूएल 7:1) । जब परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतीक, सन्दूक अपने स्थान पर था, तो दाऊद ने एक गीत में लोगों का नेतृत्व किया (1 इतिहास 16: 8-36) । एक साथ राष्ट्र ने ईश्वर के आश्चर्यकर्म करने की सामर्थ्य, प्रतिज्ञा पूरी करने के तरीके, और अतीत में उसकी सुरक्षा के गीत गाए, (पद.12:22) । “यहोवा और उसकी सामर्थ्य की खोज करो; उसके दर्शन के लिए लगातार खोज करो,” वे पुकार उठे (पद.11) l उन्हें इसकी आवश्यकता थी, क्योंकि और लड़ाइयाँ तय थी l

प्रभु और उसकी सामर्थ्य की खोज करो l उसके दर्शन को खोजो l बीमारी, पारिवारिक चिंता, और अन्य लड़ाइयों का सामना करने के लिए यह बुरी सलाह नहीं है, क्योंकि हम अपनी स्वयं की क्षीण होती ऊर्जा में लड़ने के लिए नहीं छोड़े गए हैं । परमेश्वर उपस्थित है; परमेश्वर सामर्थी है; उसने अतीत में हमारी देखभाल की और आगे भी ऐसा करेगा ।

हमारा परमेश्वर हमें पार ले जाएगा l