शांति के साधन
1914 में जब प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा, तो ब्रिटिश राजनेता सर एडवर्ड ग्रे ने घोषणा की, “पूरे यूरोप में दीये बुझ रहे हैं; हम उन्हें अपने जीवनकाल में फिर से जलते हुए नहीं देखेंगे ।” ग्रे सही था । जब "सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध" अंततः समाप्त हो गया, तो लगभग 20 मिलियन(2 करोड़) लोग मारे गए थे (उनमें से 10 मिलियन/1 करोड़ नागरिक) और अन्य 21 मिलियन/2.1 करोड़ घायल हुथे थे ।
जबकि उसी पैमाने या परिमाण पर नहीं, पर हमारे व्यक्तिगत जीवन में भी तबाही हो सकती है । हमारे घर, कार्यस्थल, चर्च, या पड़ोस को भी संघर्ष की अँधेरी छाया ढक सकती है l यह एक कारण है कि परमेश्वर हमें संसार में अंतर-निर्माता होने के लिए बुला रहा है l लेकिन ऐसा करने के लिए हमें उसकी बुद्धि पर भरोसा करना होगा l प्रेरित याकूब ने लिखा, “जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार कोमल और मृदु भाव और दया और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है l मिलाप कराने वाले धार्मिकता का फल मेल-मेलाप के साथ बोते हैं” (याकूब 3:17–18) ।
इसके परिणाम के कारण शांतिदूत की भूमिका महत्वपूर्ण है । शब्द धार्मिकता/righteousness का अर्थ है "ईमानदारी” या "सही संबंध ।" शांतिदूत रिश्तों को बहाल करने में मदद कर सकते हैं । कोई आश्चर्य नहीं कि यीशु ने कहा, "धन्य हैं वे, जो मेल करानेवाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएँगे” (मत्ती 5:9) l उनके बच्चे, उसकी बुद्धिमत्ता पर भरोसा करते हुए, उसकी शांति के साधन बन जाते हैं जहाँ इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है ।
शांति के साधन
1914 में जब प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा, तो ब्रिटिश राजनेता सर एडवर्ड ग्रे ने घोषणा की, “पूरे यूरोप में दीये बुझ रहे हैं; हम उन्हें अपने जीवनकाल में फिर से जलते हुए नहीं देखेंगे ।” ग्रे सही था । जब "सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध" अंततः समाप्त हो गया, तो लगभग 20 मिलियन(2 करोड़) लोग मारे गए थे (उनमें से 10 मिलियन/1 करोड़ नागरिक) और अन्य 21 मिलियन/2.1 करोड़ घायल हुथे थे ।
जबकि उसी पैमाने या परिमाण पर नहीं, पर हमारे व्यक्तिगत जीवन में भी तबाही हो सकती है । हमारे घर, कार्यस्थल, चर्च, या पड़ोस को भी संघर्ष की अँधेरी छाया ढक सकती है l यह एक कारण है कि परमेश्वर हमें संसार में अंतर-निर्माता होने के लिए बुला रहा है l लेकिन ऐसा करने के लिए हमें उसकी बुद्धि पर भरोसा करना होगा l प्रेरित याकूब ने लिखा, “जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार कोमल और मृदु भाव और दया और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है l मिलाप कराने वाले धार्मिकता का फल मेल-मेलाप के साथ बोते हैं” (याकूब 3:17–18) ।
इसके परिणाम के कारण शांतिदूत की भूमिका महत्वपूर्ण है । शब्द धार्मिकता/righteousness का अर्थ है "ईमानदारी” या "सही संबंध ।" शांतिदूत रिश्तों को बहाल करने में मदद कर सकते हैं । कोई आश्चर्य नहीं कि यीशु ने कहा, "धन्य हैं वे, जो मेल करानेवाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएँगे” (मत्ती 5:9) l उनके बच्चे, उसकी बुद्धिमत्ता पर भरोसा करते हुए, उसकी शांति के साधन बन जाते हैं जहाँ इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है ।
संघर्ष से मुड़ना
एक प्रसिद्ध डच वैज्ञानिक को कब्रिस्तान में अपनी श्रद्धांजलि में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने आपसी वैज्ञानिक विवादों का उल्लेख नहीं किया । इसके बजाय, उन्होंने हेंड्रिक ए. लोरेंत्ज़ की "कभी न कम होनेवाली दया" को याद किया, एक प्रिय भौतिक विज्ञानी जो अपने सहज आचरण और दूसरों के साथ निष्कपट व्यवहार के लिए जाना जाता था । आइंस्टीन ने कहा, "हर किसी ने उनका ख़ुशी से पालन किया, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि वह किसी पर हावी न हुआ बल्कि हमेशा सरलता से उपयोग होना चाहा ।"
लॉरेंत्ज़ ने वैज्ञानिकों को प्रेरित किया कि वे राजनीतिक पूर्वाग्रह को हटाकर एक साथ काम करें, खासकर प्रथम विश्व युद्ध के बाद । "युद्ध खत्म होने से पहले भी," आइंस्टीन ने अपने साथी नोबेल पुरस्कार विजेता के बारे में कहा, "[लोरेंट्ज़] ने खुद को सुलह के काम के लिए समर्पित कर दिया ।"
सामंजस्य के लिए काम करना चर्च में भी सभी का लक्ष्य होना चाहिए । सच है, कुछ संघर्ष अपरिहार्य है । फिर भी हमें शांतिपूर्ण प्रस्तावों के लिए काम करना चाहिए । पौलुस ने लिखा, “सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे” (इफिसियों 4:26) । साथ-साथ उन्नति करने के लिए, प्रेरित ने सलाह दी, “कोई गन्दी बात तुम्हारे मुहं से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही निकले जो उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो” (पद. 29) ।
अंत में, पौलुस ने कहा, “सब प्रकार की कड़वाहट, और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निंदा, सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए l एक दूसरे पर कृपालु और करुणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किये, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो” (पद.31–32 संघर्ष से मुड़ने में जब भी हम सक्षम होते हैं हम चर्च की उन्नति में मदद करते हैं । इसके द्वारा, वास्तव में, हम उसका सम्मान करते हैं ।
वीरतापूर्ण कार्य
जॉन हार्पर को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि वह क्या होने वाला है, क्योंकि वह और उसकी छह साल की बेटी टाइटैनिक पर स्वार थे । लेकिन एक बात जो वह जानता था : वह यीशु से प्यार करता था और वह उत्साहित था कि दूसरे भी उसे जानें l जैसे ही जहाज एक हिमखंड से टकराया, उसमें पानी भरने लगा, और हार्पर, जो एक विधुर था, ने अपनी छोटी बेटी को एक जीवनरक्षक नौका में उतार दिया और कोलाहल के बीच अधिक से अधिक लोगों को बचाने के लिए आगे आया l जीवन रक्षक जैकेट वितरित करते समय उसे चिल्लाते हुए सुना गया, "महिलाओं, बच्चों, और जो शेष बचे लोग हैं उन्हें जीवन रक्षक नौकाओं में उतारें l” अपनी अंतिम सांस तक, हार्पर ने अपने आसपास के लोगों के साथ यीशु के विषय साझा किया l जॉन ने स्वेच्छा से अपनी जान दे दी ताकि अन्य लोग जीवित रह सकें ।
एक व्यक्ति था जिसने दो हजार साल पहले इच्छापूर्वक अपना जीवन दे दिया ताकि आप और मैं न केवल इस जीवन में बल्कि सम्पूर्ण अनंतता तक जीवित रह सकें l यीशु अचानक एक दिन जागकर मानवता के पाप के लिए मृत्यु दंड सहने का निर्णय नहीं लिया l यह उसके जीवन का मिशन था । एक बिंदु पर जब वह यहूदी धर्मगुरुओं के साथ बात कर रहा था तो उसने बार-बार स्वीकार किया "मैं अपना प्राण देता हूँ” (यूहन्ना 10:11,15,17, 18) । उसने सिर्फ ये शब्द नहीं बोले बल्कि वास्तव में क्रूस पर एक भयानक मृत्यु सहकर उसे जी कर दिखाया l वह इसलिए आया कि फरीसी, जॉन हार्पर और हम "जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं” (पद.10) l
झूठा भरोसा
कुछ साल पहले, मेरे डॉक्टर ने मुझे मेरे स्वास्थ्य के बारे में एक कड़ी बात कही । मैं उनकी बातों से प्रभावित हुई और जिम जाना आरम्भ किया और अपने आहार को अनुकूलित करना शुरू कर दिया । समय के साथ, मेरा कोलेस्ट्रॉल और मेरा वजन दोनों कम हो गया, और मेरा आत्म-सम्मान बढ़ गया । लेकिन तब कुछ बहुत अच्छा नहीं हुआ : मैंने अन्य लोगों के आहार विकल्पों पर ध्यान देना और उनकी आलोचना करना, विभेद करना शुरू किया । क्या यह हास्यास्पद नहीं है कि अक्सर जब हमें एक समंकन प्रणाली(scoring method) मिलती है जो हमें अच्छी तरह से वर्गीकृत करती है, तो हम इसका उपयोग खुद को ऊपर उठाने और दूसरों को नीचे रखने के लिए करते हैं । ऐसा लगता है कि यह एक सहज मानवीय प्रवृत्ति है, जो खुद का पक्ष समर्थन(self-justification) के प्रयास में स्व-निर्मित मानकों से चिपका हुआ है - स्व-औचित्य और अपराध-प्रबंधन की प्रणाली ।
पौलुस ने फिलिप्पियों को इस तरह की बात करने के सम्बन्ध में चेतावनी दी । कुछ लोग धार्मिक कार्य निष्पादन या सांस्कृतिक अनुरूपता में अपना भरोसा रख रहे थे, और पौलुस ने उन्हें बताया कि उसके पास इस तरह की चीजों पर घमंड करने का अधिक कारण था : “यदि किसी और को शरीर पर भरोसा रखने का विचार हो, तो मैं उससे भी बढ़कर रख सकता हूँ” (3:4) । फिर भी पौलुस जानता था कि उसकी वंशावली और कार्य "मसीह को प्राप्त करने" (पद.8) की तुलना में "कूड़ा” था । केवल यीशु ही हमसे प्यार करता है जैसे हम हैं, हमें बचाता है, और हमें और अधिक अपने जैसे बनने की शक्ति देता है । कोई कमाई/उपार्जन की आवश्यकता नहीं है; कोई अंकों की गणना संभव नहीं है ।
शेखी बघारना अपने आप में बुरा है, लेकिन झूठे आत्मविश्वास पर आधारित घमंड दुखद है । सुसमाचार हमें गलत विश्वास/भरोसा से दूर करता है और एक उद्धारकर्ता के साथ सहभागिता में बुलाता है जो हमें प्यार करता है और हमारे लिए खुद को दिया है ।