गंभीर चोट से ठीक होने के बाद वापस फुटबॉल के मैदान में लौटते समय,  टीम का एक साथी जो कि उसी स्थिति/position को खेलता है, धैर्यपूर्वक बेंच पर लौट गया l हालाँकि यह फुटबॉल खिलाड़ी भी उसी स्थिति/position के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहा था,  लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का समर्थन करने का फैसला किया और अपनी भूमिकाओं में आश्वस्त रहे । एक रिपोर्टर ने देखा कि दोनों एथलीटों का “मसीह में अपने विश्वास में अनोखा रिश्ता” है जो एक-दूसरे के लिए चल रही प्रार्थनाओं के द्वारा दिखाया गया । जब अन्य लोग देख रहे थे,  वे यह याद करके कि वे एक ही टीम में थे –  केवल खिलाड़ी के रूप में नहीं,  बल्कि यीशु में विश्वासियों के रूप में उसका प्रतिनिधि होकर – उन्होंने परमेश्वर को आदर दिया l

प्रेरित पौलुस विश्वासियों को “ज्योति की संतान” के रूप में जीने की याद दिलाता है जो यीशु की वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं (1 थिस्सलुनीकियों 5:5–6) । मसीह द्वारा दिए गए उद्धार में हमारी सुरक्षित आशा के साथ,  हम ईर्ष्या,  असुरक्षा,  भय,  या डाह से बाहर निकलने के लिए किसी भी प्रलोभन से बच सकते हैं । इसके बजाय, हम “एक दूसरे को शांति [दे सकते हैं] और एक दूसरे की उन्नति का कारण [बन सकते हैं]” (पद.11) l हम आध्यात्मिक अगुओं का सम्मान कर सकते हैं जो परमेश्वर का आदर करते हैं और “मेलमिलाप से [रह सकते हैं]” जब हम अपने साझा लक्ष्य को पूरा करने के लिए सेवा करते हैं – लोगों को सुसमाचार के बारे में बताते हुए और दूसरों को यीशु के लिए जीने के लिए प्रोत्साहित करते हुए (पद.12–15) ।

जब हम एक ही टीम में सेवा करते हैं,  तो हम पौलुस की आज्ञा को ध्यान में रख सकते हैं : “सदा आनंदित रहो l निरंतर प्रार्थना में लगे रहो l हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है” (पद.16-18) l