यहाँ एक वार्तालाप है जो मरियम को युसूफ के साथ करने की आवश्यकता नहीं थी जब वे उस बच्चे के जन्म की प्रतीक्षा कर रहे थे जिससे वह गर्भवती थी : “युसूफ,  हमें बच्चे का नाम क्या रखना चाहिए?” एक जन्म का इंतजार करने वाले अधिकांश लोगों के विपरीत,  उनके पास इस बारे में कोई सवाल नहीं था कि वे इस बच्चे को किस नाम से पुकारेंगे l

जो स्वर्गदूत मरियम से और फिर यूसुफ से मिले उन्होंने दोनों को बताया कि बच्चे का नाम यीशु होगा (मत्ती 1: 20–21; ल्यूक 1: 30–31) । युसूफ को दिखाई देनेवाले स्वर्गदूत ने बताया कि यह नाम संकेत करता है कि बालक “अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा l”

उसे “इम्मानुएल” भी पुकारा जाएगा (यशायाह 7:14), जिसका अर्थ है “परमेश्वर हमारे साथ,”  क्योंकि वह मानव रूप में ईश्वर होगा – खुदा जो कपड़े में लिपटा हुआ है l नबी यशायाह ने अन्य नामों को प्रगट किया “अद्भुत युक्ति करनेवाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनंतकाल का पिता, और शांति का राजकुमार” (9:6),  क्योंकि वह सब होगा l

एक नए बच्चे को नाम देना हमेशा रोमांचक होता है l लेकिन किसी अन्य बच्चे का इतना शक्तिशाली,  रोमांचक,  विश्व-परिवर्तन करने वाला नाम नहीं था जैसा कि “यीशु जिसे मसीहा/Messiah कहा जाता है” (मत्ती 1:16) । हमारे लिए प्रभु यीशु मसीह के नाम को पुकारना” कितना रोमांचक है (1 कुरिन्थियों 1:2)! कोई अन्य नाम नहीं है जो बचाता है (प्रेरितों 4:12) l

आइए यीशु की प्रशंसा करें और सब कुछ पर चिंतन करें जो वह हमारे लिए इस क्रिसमस के मौसम में अर्थ रखता है!