1914 में बेल्जियम में एक ठंडी क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, उन खंदकों से गायन की आवाज़ आती हुई सुनाई दी जहाँ सैनिक छिपे हुए थे l क्रिसमस प्रशंसागान(Carol) “धन्य रात” की लय पहले जर्मन भाषा में और फिर अंग्रेजी में सुनाई दी l सैनिक जो दिन के आरम्भ में एक दूसरे पर गोलियां बरसा रहे थे अपने हथियारों को रखकर अपने खंदकों से निकल कर दूसरे से हाथ मिलाने अवांतर भूमि(no man’s land) में आए और एक दूसरे के साथ क्रिसमस की शुभकामनाएं और अपने रसद में से स्वाभाविक उपहार एक दूसरे को दिए l अगले दिन भी युद्धविराम जारी रहा जब सैनिकों ने एक दूसरे से बातें की और हंसे और यहां तक कि एक साथ फुटबॉल मैच भी आयोजित किए ।
1914 का क्रिसमस युद्धविराम/truce जो प्रथम विश्व युद्ध के साथ पश्चिमी शरहद पर हुआ था ने पहले क्रिसमस की पूर्व संध्या पर घोषित स्वर्गदूतों की शांति की संक्षिप्त झलक पेश की । एक स्वर्गदूत ने इन आश्वस्त करनेवाले शब्दों के साथ घबराए हुए चरवाहों से बात की : “मत डरो; क्योंकि देखो, मैं तुम्हें बड़े आनंद का सुसमाचार सुनाता हूँ जो सब लोगों के लिए होगा, कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है” (लूका 2:10–11) । तब स्वर्गदूतों का दल स्तुति करते हुए दिखाई दिया, “आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शांति हो” (पद.13–14) ।
यीशु “शांति का राजकुमार” है जो हमें हमारे पापों से बचाता है (यशायाह 9: 6)। क्रूस पर उनके बलिदान के माध्यम से वह क्षमा और परमेश्वर के साथ शांति प्रदान करता है जो उस पर भरोसा करते हैं।
आपने यीशु द्वारा प्रदान की गई शांति का अनुभव कैसे किया है? आज आप उस शांति को किस प्रकार व्यवहारिक रूप से किसी के साथ साझा कर सकते हैं?
हे शांति के राजकुमार, आज मेरे दिल में राज करें l मैं आपकी परिपूर्ण शांति के लिए आपकी प्रशंसा करता हूं जो यह दुनिया कभी नहीं छीन सकती है!