1876 ​​में,  मध्य इंडियाना में कोयला निकालने वाले पुरुषों ने सोचा कि उन्हें नरक के द्वार मिल गए हैं । इतिहासकार जॉन बार्लो मार्टिन की रिपोर्ट है कि छह सौ फीट पर, “भयानक आवाजों के बीच बदबूदार धूँआ निकल रहा था l” डर से कि उन्होंने “शैतान की गुफा के छत में छेद कर दिया था,” खनिकों ने अच्छी तरह से उस खदान/कूएं को बंद कर दिया और वापस घर चले गए l

बेशक, खनिक गलत थे – और कुछ साल बाद,  वे फिर से छेद करके प्राकृतिक गैस से समृद्ध होने वाले थे । भले ही वे गलत थे,  मैं खुद को उनसे थोड़ा ईर्ष्या करते हुए देखता हूँ l ये खनिक आध्यात्मिक संसार के बारे में जागरूकता के साथ जी रहे थे जो अक्सर मेरे खुद के जीवन से गायब है । मेरे लिए जीना आसान है जैसे कि अलौकिक और प्राकृतिक शायद ही कभी एक दूसरे की राह रोकते हैं और यह भूल जाना कि “हमारा यह मल्लयुद्ध लहू और मांस से नहीं, परन्तु . . . उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं” (इफिसियों 6:12) l

जब हम अपने संसार में बुराई को जीतते हुए देखते हैं,  तो हमें उसके समक्ष समर्पण या अपनी सामर्थ्य से उससे लड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए । इसके बजाय, हम “परमेश्वर के सारे हथियार” बाँध लें (पद.13-18) l पवित्रशास्त्र का अध्ययन, अन्य विश्वासियों के साथ नियमित रूप से मिलना और दूसरों की भलाई को ध्यान में रखकर “शैतान की युक्तियों के सामने खड़े” रहें (पद.11) l पवित्र आत्मा से लैस,  हम किसी भी चीज़ के सामने दृढ़ रह सकते हैं (पद.13) ।