सुबह की सभा और पुत्रत्व VIC 6
"“क्योंकि तमु को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिस से…
सावधानी से बनाई गई चरनी
"परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार पक्रट होता है, जिस पक्रार दर्पण में,…
एक ही दल में
गंभीर चोट से ठीक होने के बाद वापस फुटबॉल के मैदान में लौटते समय, टीम का एक साथी जो कि उसी स्थिति/position को खेलता है, धैर्यपूर्वक बेंच पर लौट गया l हालाँकि यह फुटबॉल खिलाड़ी भी उसी स्थिति/position के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहा था, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का समर्थन करने का फैसला किया और अपनी भूमिकाओं में आश्वस्त रहे । एक रिपोर्टर ने देखा कि दोनों एथलीटों का "मसीह में अपने विश्वास में अनोखा रिश्ता" है जो एक-दूसरे के लिए चल रही प्रार्थनाओं के द्वारा दिखाया गया । जब अन्य लोग देख रहे थे, वे यह याद करके कि वे एक ही टीम में थे - केवल खिलाड़ी के रूप में नहीं, बल्कि यीशु में विश्वासियों के रूप में उसका प्रतिनिधि होकर - उन्होंने परमेश्वर को आदर दिया l
प्रेरित पौलुस विश्वासियों को "ज्योति की संतान” के रूप में जीने की याद दिलाता है जो यीशु की वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं (1 थिस्सलुनीकियों 5:5–6) । मसीह द्वारा दिए गए उद्धार में हमारी सुरक्षित आशा के साथ, हम ईर्ष्या, असुरक्षा, भय, या डाह से बाहर निकलने के लिए किसी भी प्रलोभन से बच सकते हैं । इसके बजाय, हम "एक दूसरे को शांति [दे सकते हैं] और एक दूसरे की उन्नति का कारण [बन सकते हैं]” (पद.11) l हम आध्यात्मिक अगुओं का सम्मान कर सकते हैं जो परमेश्वर का आदर करते हैं और "मेलमिलाप से [रह सकते हैं]” जब हम अपने साझा लक्ष्य को पूरा करने के लिए सेवा करते हैं - लोगों को सुसमाचार के बारे में बताते हुए और दूसरों को यीशु के लिए जीने के लिए प्रोत्साहित करते हुए (पद.12–15) ।
जब हम एक ही टीम में सेवा करते हैं, तो हम पौलुस की आज्ञा को ध्यान में रख सकते हैं : “सदा आनंदित रहो l निरंतर प्रार्थना में लगे रहो l हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है” (पद.16-18) l
टूटे हृदय की प्रार्थना
“प्रिय स्वर्गिक पिता, मैं प्रार्थना करने वाला आदमी नहीं हूँ, लेकिन अगर आप ऊपर वहाँ हैं, और आप मुझे सुन सकते हैं, तो मुझे रास्ता दिखाएँ l मैं अपनी समस्या का हल ढूँढ़ने में असमर्थ हूँ l" यह प्रार्थना हिम्मत हार चुके जॉर्ज बेली द्वारा फुसफुसायी गयी, जो प्रसिद्ध अंग्रेजी फिल्म इट्स ए वंडरफुल लाइफ(It’s a Wonderful Life) का एक चरित्र है । अब उस प्रतिष्ठित दृश्य में उसकी आँखें में आंसू भर आते हैं । वे कथानक/script का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उस भूमिका को निभाने वाले चरित्र ने जब वह प्रार्थना की उसने कहा कि उसने “अकेलापन महसूस किया, लोगों की वह आशाहीनता जिनके पास मुड़ने की कोई दिशा नहीं थी l” उससे वह टूट गया l
इस प्रार्थना का बुनियादी अर्थ है, बस "मेरी मदद कीजिए ।" और यह वही है जो भजन 109 में सुनाई देता है । दाऊद को अपनी समस्या का हल नहीं मिल रहा था : “दीन और दरिद्र,” उसका हृदय घायल” था (पद.22), और उसका शरीर “चर्बी न रहने से . . . सुख गया [था]” (पद.24) l वह "ढलती हुई छाया के समान जाता रहा [था]” (पद.23), और “लोगों में [उसकी] नामधराई” हो रही थी और लोग देखकर “सर हिलाते [थे]” (पद.25) l अपने चरम टूटेपन में, वह कहीं और नहीं मुड़ सकता था l उसने परम प्रभु यहोवा से उसे राह दिखाने के लिए अनुनय किया : “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरी सहायता कर” (पद.26) l
हमारे जीवन में ऐसे काल आते हैं जब "टूटापन” सब कह देता है l ऐसे समय में यह जानना कठिन हो सकता है कि प्रार्थना क्या करें । हमारा प्रेमी परमेश्वर मदद के लिए हमारी सरल प्रार्थना का जवाब देगा ।