एक अमेरिकी राज्य के लगभग 34,000 घरों के खराब नींव के कारण उनके गिरने का खतरा है l यह अहसास किये बगैर, एक पत्थर/कंक्रीट कंपनी ने खदान से एक खनिज मिश्रित पत्थर निकाले, जो समय के साथ, पत्थर में दरार उत्पन्न कर उन्हें विघटित कर देता है l लगभग छह सौ घरों की नींव पहले ही कमजोर हो चुकी है, और समय के साथ यह संख्या बढ़ने की संभावना है l
यीशु ने हमारी जिंदगी के अस्थिर भूमि पर बनने के खतरे को समझाने के लिए खराब नीव पर बने घर का उद्धारण दिया l उन्होंने समझाया कि हममें से कुछ लोग मजबूत चट्टान पर अपने जीवन का निर्माण करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि हम प्रचंड तूफानों का सामना करते समय ठोस रहें l हालांकि, हम में से अन्य, रेत पर अपना जीवन बनाते हैं; और जब प्रचंड आंधी चलती है, तो हमारे जीवन गिर जाते हैं “एक महान दुर्घटना के साथ”(मत्ती 7:27) l एक दृढ़ नींव और एक ढहते हुए निर्माण के बीच अंतर यह है कि क्या हम मसीह के शब्दों पर “चलते” (पद.26) हैं या नहीं l सवाल यह नहीं है कि हम उनके शब्दों को सुनते हैं या नहीं, लेकिन क्या हम उनका अभ्यास करते हैं जब वह हमें सक्षम बनाता है l
इस दुनिया में हमें बहुत ज्ञान दिया गया है – साथ ही बहुत सारी सलाह और मदद भी – और इनमें से अधिकाधिक अच्छा और लाभदायक है l यदि हम अपने जीवन को परमेश्वर के सत्य के प्रति विनम्र आज्ञापालन के अलावा किसी भी आधार पर रखते हैं, तो हम परेशानी को आमंत्रित करते हैं l उसकी सामर्थ्य में, परमेश्वर जो कहता है वही एकमात्र तरीका है चट्टान पर, एक घर एक जीवन बनाने का l
आप किसकी बुद्धि, अंतर्दृष्टि, या राय को सबसे ज्यादा सुनते हैं? यीशु के शब्दों को व्यवहार में लाकर आप अपने जीवन की नींव को बेहतर कैसे बना सकते हैं?
हे परमेश्वर, जो मैं अनुभव करता हूँ उसका बहुत कुछ अस्थिर और अस्थायी लगता है, रेत पर बना जीवन l मैं एक ठोस जीवन जीना चाहता हूँ l आपकी आज्ञा मानने में मेरी मदद करें l
यीशु के जीवन और शिक्षाओं के बारे में अधिक जानने के लिए, ChristianUniversity.org/NT218 देखें l