हर नई सुबह
मेरा भाई पॉल गंभीर मिर्गी(epilepsy) से जूझता हुआ बड़ा हुआ और जब वह अपनी किशोरावस्था में प्रवेश किया तो यह और भी बद्तर हो गया l रात का समय उसके और मेरे माता-पिता के लिए कष्टदायी बन गया, क्योंकि उसे एक बार में छह घंटे से अधिक समय तक लगातार दौरे का अनुभव होता था l डॉक्टरों को एक ऐसा उपचार नहीं मिल रहा था जो उसे दिन के कम से कम एक हिस्से के लिए जागरूक रखते हुए उसके लक्षणों को कम कर सकता था l मेरे माता-पिता प्रार्थना में पुकारे : “परमेश्वर, हे परमेश्वर, हमारी मदद कर!”
यद्यपि, उनकी भावनाएँ चकनाचूर हो गई थीं और उनके शरीर थक गए थे, पॉल और मेरे माता-पिता ने प्रत्येक नए दिन के लिए परमेश्वर से पर्याप्त सामर्थ्य प्राप्त की l इसके अलावा, मेरे माता-पिता को बाइबल के शब्दों में आराम मिला, जिसमें विलापगीत की किताब भी शामिल थी l यहाँ यिर्मयाह ने “नागदौने और – और विष” (3:19) को याद करते हुए बेबीलोनियों द्वारा यरूशलेम के विनाश पर अपना दुःख प्रकट किया l फिर भी यिर्मयाह ने आशा नहीं खोई l उसने परमेश्वर की दया को ध्यान में रखते हुए कहा कि उसकी दया “प्रति भोर . . . नई होती जाती है” (पद.23) l इसी तरह मेरे माता-पिता ने भी किया l
आप जिसका भी सामना कर रहे हैं, जाने कि परमेश्वर हर सुबह विश्वासयोग्य है l वह दिन-ब-दिन हमारी ताकत को नया करता है और हमें आशा देता है l और कभी-कभी, जैसे मेरे परिवार के साथ, वह राहत लाता है l कई वर्षों के बाद, एक नई दवा उपलब्ध हुई जिसने पॉल के लगातार रात के दौरे को रोक दिया, जिससे मेरे परिवार की नींद और भविष्य के लिए आशा की किरण जागी l
जब हमारी आत्माएँ हमारे भीतर दुखी हो जाती है (पद.20), तो हम परमेश्वर के वादों को ध्यान में रखें कि हर सुबह उसकी दया नई है l
आप अब खुद नहीं
1859 की गर्मियों में, मस्यु चार्ल्स ब्लोंडिन पहले व्यक्ति बन गए जिन्होंने नियाग्रा फॉल्स(Niagara Falls) को तनी रस्सी पर पार किया - कुछ ऐसा जो वह सैकड़ों बार करने वाले थे l एक बार उन्होंने ऐसा अपने मैनेजर हैरी कॉलकॉर्ड को अपने पीठ पर बैठा कर किया l ब्लोंडिन ने कॉलकॉर्ड को ये निर्देश दिए : “देखो, हैरी . . . यदि मैं हिलता-डुलता हूँ तो तुम भी मेरे साथ वैसा ही करो l खुद को संतुलित करने का प्रयास मत करना l यदि तुम करते हो, तो हम दोनों अपनी मृत्यु की ओर जाएंगे l”
संक्षेप में, पौलुस ने गलातिया के विश्वासियों से कहा : मसीह में विश्वास के अतिरिक्त आप परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली जीवन की रेखा पर चल नहीं सकते हैं – लेकिन यहाँ अच्छी खबर है – आपको चलने की ज़रूरत भी नहीं है! परमेश्वर तक पहुँचने के लिए हमारे कितने भी प्रयास इसे कभी काट नहीं सकते l तो क्या हम अपने उद्धार में निष्क्रिय हैं? नहीं! हमारा निमंत्रण मसीह को दृढ़ता से पकड़े रहना है l यीशु को दृढ़ता से पकड़े रहने का अर्थ है, जीने का पुराना, स्वतंत्र तरीके को मार देना; यह ऐसा है मानों हम खुद मर गए हैं l फिर भी, हम जीते चले जाते हैं l लेकिन “[हम] शरीर में अब जो जीवित [हैं] तो केवल उस विश्वास से जीवित हैं जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने [हम] से प्रेम किया और [हमारे] लिए अपने आप को दे दिया” (गलातियों 2:20) l
आज हम तनी हुयी रस्सी पर कहाँ पर चलने की कोशिश कर रहे हैं? परमेश्वर ने हमें रस्सी त्यागकर अपनी ओर नहीं बुलाया है; वह हमें उसे दृढ़ता से थाम कर उसके साथ जीवन में चलने के लिए बुलाया है l
भय का सामना
वारेन एक छोटे शहर में चर्च की पासबानी करने चला गया l उसकी सेवा में कुछ शुरूआती सफलता के बाद, एक स्थानीय व्यक्ति उसके विरुद्ध हो गया l एक कहानी गढ़कर वॉरेन पर भयावह कृत्यों का आरोप लगाते हुए, कहानी को स्थानीय अखबार तक ले गया और यहाँ तक कि स्थानीय निवासियों को वितरित करने हेतु आरोपों को पर्चों पर छपवा दिये l वारेन और उसकी पत्नी अत्यधिक प्रार्थना करने लगे l अगर झूठ पर विश्वास कर लिया गया होता, तो उनके जीवन का अंत हो जाता l
राजा दाऊद ने एक बार कुछ ऐसा ही अनुभव किया l उसे एक दुश्मन द्वारा बदनामी के हमले का सामना किया l “वे दिन भर मेरे वचनों को, उलटा अर्थ लगा लगाकर मरोड़ते रहते हैं, उनकी सारी कल्पनाएँ मेरी ही बुराई करने की होती है,” उसने कहा (भजन 56:5) l इस निरंतर हमले ने उसे भयभीत और अशांत कर दिया (पद.8) l लेकिन लड़ाई के मध्य, उसने यह शक्तिशाली प्रार्थना की : “जिस समय मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा रखूँगा . . . कोई प्राणी मेरा क्या कर सकता है” (पद.3-4) l
दाऊद की प्रार्थना आज हमारे लिए एक आदर्श हो सकती है l जब मैं भयभीत होता हूँ - भय या आरोप के समय में, हम परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं l मैं तुझ पर भरोसा रखूँगा - हम अपनी लड़ाई परमेश्वर के शक्तिशाली हाथों में रख देते हैं l कोई प्राणी मेरा क्या कर सकता है – उसके साथ स्थिति का सामना करते हुए, हम याद रखते हैं कि वास्तव में हमारे खिलाफ शक्तियां कितनी सीमित हैं l
अखबार ने वॉरेन के बारे में कहानी को नजरअंदाज कर दिया l किसी कारण से, पर्चे कभी वितरित नहीं हुए l आज आप किस लड़ाई से डरते हैं? परमेश्वर से बात करें l वह आपके साथ मिलकर लड़ने के लिए तैयार है l
मानव होना
“मिस्टर सिंगरमैन, आप क्यों रो रहे हैं?” बारह साल के अल्बर्ट से पूछा जब उसने मास्टर कारीगर को लकड़ी के एक बक्से को बनाते हुए देखा l
“मैं रोता हूँ,” उन्होंने कहा, “"क्योंकि मेरे पिता रोए थे, और क्योंकि मेरे दादा रोए थे l” बढ़ई का अपने युवा शिक्षार्थी को उत्तर देना लिटिल हाउस ऑन द प्रेयरी (Little House on the Prairie) के एक एपिसोड में एक कोमल क्षण प्रदान करता है l “आंसू,” मिस्टर सिंगरमैन ने समझाया, “एक ताबूत बनाते समय आ जाते हैं l”
“कुछ लोग रोते नहीं हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि यह कमजोरी का संकेत है,” उन्होंने कहा l “मुझे सिखाया गया था कि एक मनुष्य एक मनुष्य है क्योंकि वह रो सकता है l”
यीशु की आँखों में भावनाएँ उमड़ गयी होंगी क्योंकि उसने यरूशलेम के लिए अपनी चिंता की तुलना एक माँ मुर्गी का अपने बच्चों की देखभाल से की (मत्ती 23:37) l उसके शिष्य अक्सर उसकी आँखों में देखी बातों या उसकी कहानियों को सुनकर भ्रमित हो जाते थे l मजबूत होने का मतलब क्या था इस सम्बन्ध में उसका विचार अलग था l मंदिर से बाहर आते समय उसके साथ चलते हुए यह फिर हुआ l पत्थर की विशाल दीवारों और उनके आराधना स्थल की शानदार अलंकरण की ओर अपने शिष्यों का ध्यानाकर्षित करते समय (24:1), शिष्यों ने मानव उपलब्धि की ताकत पर ध्यान दिया l यीशु ने एक मंदिर देखा जो 70 ई.स्. में समतल किया जानेवाला था l
मसीह हमें दिखाता है कि स्वस्थ लोग जानते हैं कि कब रोना है और क्यों l वह रोया क्योंकि उसके पिता को परवाह है और उसकी आत्मा उन बच्चों के लिए कराहती है जो अभी तक नहीं देख पाए हैं कि उसका दिल किससे टूटता है l