उर्जा से भरपूर शिशु विद्यालय का छात्र, मेरे बेटे जेवियर ने दोपहर के आराम के समय से परहेज किया l शांत रहना अक्सर अनचाहा परिणाम, झपकी, लेकर आया, जो अति-आवश्यक था l इसलिए, वह अपनी सीट पर बैठ कर हिलता-डुलता था, सोफे पर खिसकता था, फर्श पर दौड़ता था, और यहाँ तक कि आराम से बचने के लिए पूरे कमरे में चक्कर मारता था l “माँ, मुझे भूख लगी है . . . मुझे प्यास लगी है . . . मुझे बाथरूम जाना है . . . मुझे दुलार करना है l”
निःस्तब्धता के लाभों को समझते हुए, मैं ज़ेवियर को शांत रहने में मदद करने के लिए मुझसे सटकर लेटने के लिए बुलाती थी l मेरी ओर झुककर, वह सो जाता था l
अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत में, मैंने अपने बेटे के सक्रिय रहने की इच्छा पर विचार किया l व्यस्तता मुझे स्वीकृत, महत्वपूर्ण और नियंत्रण में महसूस कराया, जबकि शोर ने मुझे मेरी कमियों और आजमाइशों पर क्षुब्ध होने से ध्यान हटा दिया l आराम करने के लिए समर्पण ने मेरी कमजोर मानवता की पुष्टि की l इसलिए मैंने शांति और खामोशी से परहेज किया, और शक करने लगी कि परमेश्वर मेरी सहायता के बिना चीजों को नहीं संभाल सकता था l
लेकिन वह हमारा शरणस्थान है, चाहे कितनी भी परेशानियाँ या अनिश्चितताएँ हमें घेरे हों l आगे का रास्ता लंबा, डरावना या अभिभूत करनेवाला लग सकता है, लेकिन उसका प्यार हमें घेर लेता है l वह हमें सुनता है, हमें जवाब देता है और हमारे साथ रहता है . . . अब और हमेशा के लिए अनंत काल तक (भजन 91) l
हम परमेश्वर की शांति को गले लगा सकते हैं और उसके अचल प्रेम और निरंतर उपस्थिति में सहारा ले सकते हैं l हम शांत रहकर उसमें विश्राम पा सकते हैं क्योंकि हम उसकी अपरिवर्तनीय विश्वासयोग्यता में सुरक्षित हैं (पद.4) l