चीनी दंतकथा के अनुसार, एक व्यक्ति ने एक बार अपने बेशकीमती घोड़ों में से एक को खो दिया, उसके पड़ोसी ने उसके नुकसान के लिए दुख व्यक्त किया l लेकिन यह आदमी बेपरवाह था l उसने कहा, “कौन जानता है कि यह मेरे लिए अच्छी बात हो सकती है?” आश्चर्यजनक रूप से, खोया हुआ घोड़ा दूसरे घोड़े के साथ घर लौट आया l जब पड़ोसी ने उसे बधाई दी, उसने कहा, “कौन जानता है कि यह मेरे लिए एक बुरी बात हो सकती है?” जैसा कि पता चला, उसके बेटे ने नए घोड़े पर सवार होकर अपना पैर तोड़ लिया l यह एक दुर्भाग्य की तरह लग रहा था, जब तक कि सेना युद्ध में लड़ने के लिए सभी सक्षम पुरुषों की भर्ती करने के लिए गांव में नहीं पहुंची l बेटे की चोट के कारण, वह भर्ती नहीं हो सका, जो अंततः उसे मौत से बचा सकता था l
यह चीनी कहावत के पीछे की कहानी है जो सिखाती है कि एक कठिनाई भेष में एक आशीष हो सकती है और इसके विपरीत भी l इस प्राचीन ज्ञान का सभोपदेशक 6:12 में एक करीबी समानांतर है, जहाँ लेखक ध्यान देता है : “कौन जानता है कि उसके लिए(किसी व्यक्ति के लिए) क्या अच्छा है?” वास्तव में, हममें से कोई भी नहीं जानता कि भविष्य क्या है l प्रतिकूलता के सकारात्मक लाभ हो सकते हैं और समृद्धि के दुष्प्रभाव हो सकते हैं l
प्रत्येक दिन नए अवसर, खुशियाँ, संघर्ष और दुख प्रदान करता है l परमेश्वर के प्यारे बच्चों के रूप में, हम उसकी संप्रभुता में आराम कर सकते हैं और अच्छे और बुरे समय के बीच उस पर विश्वास कर सकते हैं l “परमेश्वर ने दोनों को एक ही संग रखा है” (7:14) l वह हमारे जीवन की सभी घटनाओं में हमारे साथ है और अपनी प्रेमपूर्ण देखभाल का वादा करता है l
परम परमेश्वर, मेरे जीवन को व्यवस्थित करने के लिए धन्यवाद l मुझे अच्छे और बुरे दोनों समय में आपकी प्रशंसा करने में मदद करें, यह विश्वास करते हुए कि आप उन सभी लोगों के परम भलाई के लिए काम करते हैं जो आपसे प्यार करते हैं l
क्या आप एक उदाहरण के बारे में सोच सकते हैं जहां एक दुर्भाग्य एक आशीष बन गयी? आप अच्छे समय के साथ-साथ बुरे समय में भी परमेश्वर पर अपना ध्यान कैसे रख सकते हैं?