अमेरिका में एक मध्यम-वर्गीय पड़ोस से एक बैंड(संगीत टोली), शहर में हर साल होने वाले परिवर्तन के बारे में एक गीत गाता है। बैंड के सह-संस्थापक बताते हैं, “जब भी हमें साल की पहली असली बर्फबारी मिलती है, तो ऐसा महसूस होता है कि कुछ पवित्र हो रहा है l” थोड़ी सी तरोताज़ी शुरुआत की तरह l शहर धीमा हो जाता था और शांत हो जाता था l”
यदि आपने भारी बर्फबारी का अनुभव किया है, तो आप समझते हैं कि यह एक गीत को कैसे प्रेरित कर सकता है l एक जादुई सन्नाटा संसार को ढंक देता है जैसे कि बर्फ जमी हुयी गन्दगी और धूसरता को ढक देता है । कुछ क्षणों के लिए, सर्दियों की उदासी चमक उठती है, और हमारे आभास और ख़ुशी को आमंत्रित करती है l
एलीहू, अय्यूब का एक मित्र जो ईश्वर के बारे में एक उपयोगी दृष्टिकोण रखता होगा, ने ध्यान दिया कि सृजन कैसे हमारे ध्यान को नियंत्रित करता है l उसने कहा, “परमेश्वर गरजकर अपना शब्द अद्भुत रीति से सुनाता है (अय्यूब 37:5) l “वह तो हिम से कहता है, पृथ्वी पर गिर, और इस प्रकार मेंह को भी और मूसलाधार वर्षा को भी ऐसी ही आज्ञा देता है l” इस तरह की भव्यता हमारे जीवनों में दखल दे सकती है, और एक पवित्र ठहराव की मांग करती है l एलीहू ने ध्यान दिया, “वह सब मनुष्यों के हाथ पर मुहर कर देता है, जिस से उसके बनाए हुए सब मनुष्य उसको पहचाने (पद.6-7) l
प्रकृति कभी-कभी उन तरीकों से हमारा ध्यान आकर्षित करती है जिसे हम पसन्द नहीं करते हैं l हमारे साथ क्या होता है या हम अपने आस-पास क्या देखते हैं, इसकी परवाह किए बिना, हर पल – शानदार, डरावना या दैनिक कार्य – हमारी आराधना को प्रेरित कर सकते हैं l हमारे भीतर कवि का हृदय पवित्र खामोशी के लिए तरसता है l