28 जनवरी, 1986 को,  यूएस स्पेस शटल चैलेंजर(Challenger) उड़ान(take-off) के सैंतालीस सेकंड के बाद टूटकर बिखर गया l राष्ट्र को सांत्वना के एक भाषण में,  राष्ट्रपति रीगन ने “हाई फ्लाइट(HighFlight)” कविता से उद्धृत किया,  जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के पायलट जॉन गिलेस्पी मैगे ने “अंतरिक्ष की उच्च अपराजित पवित्रता” और अपना हाथ बढ़ाकर “परमेश्वर का चेहरा” स्पर्श करने के भाव के विषय लिखा था l

हालाँकि,  हम सचमुच ईश्वर के चेहरे को छू नहीं सकते हैं,  लेकिन हम कभी-कभी मोहक  सूर्यास्त या प्रकृति में ध्यान की एक ऐसी जगह का अनुभव करते हैं जो हमें एक बड़ा अभिभूत करने वाला आभास देता है कि वह निकट है l कुछ लोग इन क्षणों को “संकरा स्थान(thin places)” कहते हैं l स्वर्ग और पृथ्वी को अलग करने वाला अवरोध थोड़ा कम होता हुआ महसूस होता है l परमेश्वर थोड़ा और निकट महसूस होता है l

इस्राएलियों ने एक “संकरा स्थान” का अनुभव किया होगा जब उन्होंने रेगिस्तान के जंगल में परमेश्वर की निकटता को महसूस किया था l परमेश्वर ने मरुभूमि में उनकी अगुवाई करने में दिन में बादल का एक स्तंभ और रात में आग के खंभे का प्रबंध किया (निर्गमन 40:34-38) l  जब वे डेरे में ठहरे हुए थे, “यहोवा का तेज निवासस्थान में भर गया” (पद.35) l अपनी सारी यात्रा के दौरान,  वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है l

जब हम ईश्वर की रचना के अविश्वसनीय सौंदर्य का आनंद लेते हैं,  तो हम सचेत हो जाते हैं कि वह हर जगह मौजूद है l जब हम प्रार्थना में उसके साथ बात करते हैं,  उसे सुनते हैं,  और पवित्रशास्त्र पढ़ते हैं,  हम कभी भी और कहीं भी उसके साथ संगति का आनंद ले सकते हैं l