हाथ में हाथ लिए हुए,  मेरा पोता और मैं एक विशेष जन्मदिन उपहार खोजने के लिए पार्किंग के उस पार निकल गए l अब एक शिशु विद्यालय का छात्र(preschooler),  वह सब कुछ के बारे में उत्साहित था,  और मैं उसकी खुशी को आनंद में सुलगाने के लिए दृढ़ थी l मैंने अभी-अभी निम्न शब्द छपे हुए एक मग देखा था, “नानी/दादी बहुत अधिक “उपलब्धियों वाली माताएँ हैं l” उपलब्धियाँ मज़ा, दीप्ति, खुशी के बराबर हैं! उसकी नानी के रूप में यही मेरे काम का वर्णन है, है न? वह . . . और अधिक l

अपने आध्यात्मिक पुत्र तीमुथियुस को लिखे गए अपने दूसरे पत्र में, पौलुस उसके निष्कपट विश्वास की सराहना करता है─और फिर इसका श्रेय तीमुथियुस की नानी, लोइस और उसकी माँ, यूनीके को देता है (2 टिमोथी 1:5) l ये स्त्रियाँ अपने विश्वास को इस तरह जीती थीं कि तीमुथियुस भी यीशु पर विश्वास करने लगा l निश्चित रूप से,  लोइस और यूनीके तीमुथियुस को प्यार करती थीं और उसकी जरूरतों के लिए प्रबंध करती थीं l लेकिन स्पष्ट रूप से,  उन्होंने और अधिक किया l पौलुस उस विश्वास की ओर संकेत करता है जो उनमें वास करता था और बाद में तीमुथियुस में विश्वास के स्रोत के रूप में जीवित था l

एक नानी के रूप में मेरी जिम्मेदारी में जन्मदिन उपहार की “उपलब्धि” क्षण शामिल है l  लेकिन इससे भी अधिक,  जब मैं अपना विश्वास साझा करती हूँ तो मुझे उपलब्धि के क्षणों में बुलाया जाता है : चिकन बिरयानी के ऊपर अपने सिर झुकाकर खाना l परमेश्वर की कला के कार्य के रूप में आकाश में दिव्य बादल रचनाओं पर ध्यान देना l टेलीविजन पर यीशु के बारे में एक गीत के साथ चहकना l आइए यूनीके और लोइस जैसी माताओं और नानी/दादी के उदाहरण से आकर्षित होकर अपने विश्वास को जीवन में उपलब्धि बनने दें  ताकि जो हमारे पास है अन्य लोग उसे चाहें l