रोहित ऊंची आवाज़ में रोने लगा जब उसके माता-पिता ने उसे शीला के हवाले किया l यह उस बच्चे के लिए संडे स्कूल में पहली बार था जब उस अवधि में माँ और पिताजी उपासना में भाग लिये─और वह खुश नहीं था l शीला ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह ठीक हो जाएगा l उसने खिलौनों और किताबों के साथ, एक कुर्सी में उसे डुलाने, इधर उधर घूमाने, एक जगह शांत खड़े रहने, और उससे बात करते हुए कि उसे कितना मजा आएगा, उसे शांत करने की कोशिश की l लेकिन और बड़े आँसू के साथ और जोर से रोना जारी रहा l फिर उसने उसके कान में चार सरल शब्द फुसफुसाए, “मैं तुम्हारे साथ रहूँगी l” शांति और सुकून जल्दी आ गया l

यीशु ने अपने मित्रों को अपने क्रूस पर चढ़ने के सप्ताह के दौरान आराम के शब्द कहे : “पिता . . . तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे─सत्य का आत्मा” (यूहन्ना 14:16-17) l अपने पुनरुत्थान के बाद उसने उन्हें यह प्रतिज्ञा दी : “और देखो, मैं जगत के अंत तक सदा तुम्हारे संग हूँ” (मत्ती 28:20) l यीशु जल्द ही स्वर्ग जानेवाला था,  लेकिन वह आत्मा को “रहने” के लिए और अपने लोगों के भीतर निवास के लिए भेजने वाला था l

जब हमारे आंसू बहते हैं तो हम आत्मा का दिलासा और शांति का अनुभव करते हैं l जब हम विचार करते हैं कि हम क्या करें उस समय हम उसका मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे (यूहन्ना 14:26) l वह परमेश्वर के बारे में और अधिक समझने के लिए हमारी आँखें खोलता है (इफिसियों 1:17-20),  और वह हमारी कमजोरी में मदद करता है और हमारे लिए प्रार्थना करता है (रोमियों 8: 26–27) l

वह हमेशा हमारे साथ रहता है l