“वह सहनीय है, लेकिन मुझे आकर्षित करने के लिए पर्याप्त सुंदर नहीं है l” जेन ऑस्टेन के प्राइड एंड प्रेजुडिस (Pride and Prejudice) में मिस्टर डार्सी द्वारा सुनाया गया यह वाक्य, वह कारण है कि मैं उस उपन्यास और मुझ पर इसके प्रभाव को कभी नहीं भूल पाऊँगी l क्योंकि उस एक वाक्य को पढ़ने के बाद,  मैंने दृढ़ता से निर्णय लिया कि मैं मिस्टर डार्सी को कभी पसंद नहीं करूंगी  l

पर मैं गलत थी  l ऑस्टिन के चरित्र एलिजाबेथ बेनेट की तरह, मुझे धीरे-धीरे─और काफी अनिच्छा से─अपने दिमाग को बदलने का नम्र अनुभव हुआ था l उसकी तरह, मैं डार्सी के चरित्र को पूरी तरह से जानने के लिए तैयार नहीं थी; मैंने उनकी सबसे खराब क्षणों में से एक पर अपनी प्रतिक्रिया को दृढ़ता से थामे रही  l उपन्यास खत्म करने के बाद, मैं सोचने लगी  कि मैंने वास्तविक दुनिया में किसके साथ वही गलती की थी l  मैं एक आकस्मिक निर्णय छोड़ना नहीं चाहती  थी  इसलिए मैं कौन सी मित्रता में विफल रही थी?

यीशु में विश्वास के केंद्र में हमारे उद्धारकर्ता द्वारा देखे जाने, प्यार करने और गले लगाने का अनुभव है─हमारे सर्वाधिक बदतर अवस्था में (रोमियों 5:8; 1 यूहन्ना 4:19)  l यह महसूस करने का आश्चर्य है कि हम मसीह में वास्तव में क्या हैं, के लिए अपने पुराने, झूठे निजी व्यक्तित्व को समर्पित कर सकते हैं (इफिसियों 4:23-24) l  और यह समझने की खुशी है कि हम अब अकेले नहीं हैं  बल्कि एक परिवार का हिस्सा हैं,  “प्रेम में [चलना]”─वास्तविक, शर्तहीन प्रेम (5:2)─सीखनेवालों का एक “झुण्ड” हैं l

जब हम याद करते हैं कि मसीह ने हमारे लिए क्या किया है (पद.2), तो जैसे वह हमें देखता है हम दूसरों को उस तरह देखने के लिए कैसे नहीं तरसेंगे?