कभी-कभी बच्चों के शब्द हमें ईश्वर के सत्य की गहरी समझ में डाल सकते हैं l एक शाम जब मेरी बेटी छोटी थी, मैंने उसे मसीही विश्वास के महान रहस्यों में से एक के बारे में बताया─कि परमेश्वर अपने पुत्र और आत्मा के द्वारा अपने बच्चों में निवास करता है l जैसे ही मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया, मैंने कहा कि यीशु उसके साथ और उसके अन्दर है l “वह मेरे पेट में हैं?” उसने पुछा l “ठीक है, तुमने उसे निगला नहीं है,” मैंने उत्तर दिया l “लेकिन वह तुम्हारे साथ पूरी तरह से है l”
मेरी बेटी का यीशु का “उसके पेट में” होने का शाब्दिक अनुवाद मुझे ठहरकर विचार करने को विवश किया कि कैसे जब मैंने यीशु को अपना उद्धारकर्ता बनने के लिए कहा, तो वह आया और मेरे भीतर निवास करने लगा l
प्रेरित पौलुस ने इस रहस्य का उल्लेख किया जब उसने प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा इफिसुस के विश्वासियों को मजबूत करेगा ताकि “विश्वास के द्वारा मसीह [उनके] हृदय में बसे” (इफिसियों 3:17) l यीशु के भीतर रहने के साथ, वे समझ सकते थे कि वह उनसे कितना प्यार करता था l इस प्रेम से परिपूर्ण, वे अपने विश्वास में परिपक्व होंगे और प्रेम में सच बोलते हुए दूसरों को दीनता और नम्रता से प्यार करेंगे (4:2,25) l
यीशु का अपने अनुयायियों के अंदर रहने का मतलब है कि उसका प्यार उन लोगों को कभी नहीं छोड़ता, जिन्होंने उसको अपने जीवन में निमंत्रित किया है l उसका प्रेम जो ज्ञान से परे है (3:19) हमें उसमें जड़वत करते हुए, समझने में मदद करता है कि वह हमसे कितना अधिक प्रेम करता है l
बच्चों के लिए लिखे गए शब्द इसे सबसे उत्तम तरीके से व्यक्त कर सकता है : “हाँ, यीशु मुझे प्यार करता है!”
किस प्रकार आपके अंदर यीशु का निवास करना आपको बड़ा आराम देता है? आप यह जानकर कि परमेश्वर आपको सामर्थ्य देता है आप किस प्रकार उसके निकट उन्नति कर सकते हैं?
हे परमेश्वर, आप बहुत दूर नहीं हैं, लेकिन मेरे करीब हैं l मैं आपके प्यार में खुश रहूँ और इसे दूसरों के साथ साझा करूँ l