पीनट्स(Peanuts) कॉमिक स्ट्रिप(पट्टी) में,  बहुत ही उत्साही चरित्र लूसी ने पांच सेंट(cent) के बदले में “मनोचिकित्सीय मदद” देने का विज्ञापन दिया l लाइनस उसके कार्यालय में आकर   अपनी “उदासी की गहरी भावना” उसे बताया l जब उसने उससे पूछा कि वह अपनी स्थिति के बारे में क्या कर सकता है,  तो लूसी का त्वरित उत्तर था,  “इससे संभलो! कृपया, पांच सेंट दीजिये l”

जबकि इस तरह का सुकून देने वाला मनोरंजन एक क्षणिक मुस्कुराहट लाता है,  वास्तविक जीवन में होने वाली उदासी और निराशा हमें जकड़ सकती है,  जिन्हें आसानी से खारिज नहीं किये जा सकता l निराशा और नाउम्मीदी की भावनाएं वास्तविक हैं,  और कभी-कभी पेशेवर ध्यान देने की आवश्यकता होती है l

लूसी की सलाह वास्तविक पीड़ा को संबोधित करने में सहायक नहीं थी l हालाँकि,  भजन 88 का लेखक कुछ शिक्षाप्रद और आशावादी सलाह देता है l मुसीबत से भरा एक ट्रक उसके दरवाजे पर आ गया l और इसलिए,  नम ईमानदारी के साथ,  उसने परमेश्वर के समक्ष अपना हृदय उंडेल दिया l “मेरा प्राण क्लेश से भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुँचा है” (पद.3) l “तू ने मुझे गढ़हे के तल ही में, अँधेरे और गहिरे स्थान में रखा है” (पद.6) l “अंधकार ही मेरा साथी है” (पद.18 Hindi-C.L.) l हम भजनहार की पीड़ा के विषय सुनते हैं,  महसूस करते हैं, और शायद उसके साथ तादात्म्य स्थापित करते हैं l फिर भी,  सब कुछ यह नहीं है l उसका विलाप आशा से पूर्ण है l “हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूँ l मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, और मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा” (पद. 1-2; देखें पद. 9, 13) l भारी चीजें आती हैं और व्यावहारिक कदम जैसे परामर्श और चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो सकती है l लेकिन ईश्वर में कभी आशा नहीं छोड़नी चाहिए l