एक दोस्त और मैंने हाल ही में मेरा एक पसंदीदा घूमने का स्थान गए l तेज हवा वाली पहाड़ी पर चढ़कर, हमने जंगली फूलों वाले एक मैदान को पार करके ऊंची चीड़ के पेड वाले जंगल में प्रवेश किए, उसके बाद एक घाटी में उतरकर हम थोड़ा समय के लिए ठहर गए l बादल हमारे ऊपर धीरे-धीरे उड़ रहे थे l पास में एक धारा बह रही थी l ध्वनियाँ केवल पक्षियों की थीं l मैं और मेरा दोस्त पंद्रह मिनट तक चुपचाप खड़े रहकर यह सब गौर से देखते रहे l
जैसा कि पता चला, उस दिन हमारे कार्य बेहद उपचारात्मक थे l एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, जो लोग ठहरकर प्रकृति पर चिंतन करते हैं वे उच्च स्तर की खुशी, चिंता के नीचा स्तर और पृथ्वी की देखभाल की अधिक इच्छा का अनुभव करते हैं l हालांकि, जंगल से गुजरना पर्याप्त नहीं है l आपको बादलों को देखना होगा, पक्षियों को सुनना होगा l कुंजी प्रकृति में रहना नहीं है, लेकिन इसे ध्यान से देखना है l
क्या प्रकृति के फायदों का आध्यात्मिक कारण हो सकता है? पौलुस ने कहा कि सृष्टि परमेश्वर की सामर्थ्य और प्रकृति को प्रगट करती है (रोमियों 1:20) l परमेश्वर ने अय्यूब से कहा कि वह उसकी उपस्थिति के प्रमाण के लिए समुद्र, आकाश और तारों को देखे (अय्यूब 38-39) l यीशु ने कहा कि “आकाश के पक्षी” और “जंगली सोसनों” पर ध्यान करना परमेश्वर की देखभाल प्रगट कर सकता है और चिंता कम कर सकता है (मत्ती 6:25-30) l बाइबल में, प्रकृति पर ध्यान देना एक आत्मिक अभ्यास है l
वैज्ञानिक सोचते हैं कि प्रकृति हमें सकारात्मक रूप से क्यों प्रभावित करती है? शायद एक कारण यह है कि प्रकृति पर ध्यान करने से हम परमेश्वर की एक झलक प्राप्त कर सकते हैं जिसने इसे बनाया और जो हमें ध्यान से देखता है l
चूंकि प्रकृति ईश्वर नहीं है, और इसके विपरीत, आप कैसे सोचते हैं कि इसमें से होकर उसे देखा जा सकता है? आज आप कुछ मिनट निकालकर उसकी रचना में उसकी देखभाल पर कैसे ध्यान दे सकते हैं?
स्वर्ग, पृथ्वी, झरने, और पक्षियों के गीत का परमेश्वर, आज मैं आपकी उपासना करता हूँ l