अफ्रीकी कांगो में एक अंग्रेजी मिशनरी चिकित्सक हेलेन रोजवेयर को 1964 में सिम्बा विद्रोह के दौरान विद्रोहियों द्वारा कैदी बना लिया गया था l बंदी बनानेवालों ने उन्हें पीटा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया, उसने बहुत कष्ट भोगा l उसके बाद के दिनों में,  उसने खुद से पूछा, “क्या वह इसके लायक है?”

जब वह यीशु के पीछे चलने की कीमत पर विचार करने लगी तो उसने परमेश्वर को उससे उसके विषय बात करते हुए महसूस किया l वर्षों बाद उसने एक साक्षात्कारकर्ता को समझाया, “जब विद्रोह के दौरान भयानक क्षण आए और कीमत चुकाना बहुत बड़ा लग रहा था, तो प्रभु मुझसे बात करता हुए प्रतीत हुआ, ‘प्रश्न को बदल दो l ऐसा नहीं है, ‘क्या वह लायक है?’ यह ऐसा है ‘क्या मैं उसके लायक हूँ?’” ’उसने निष्कर्ष निकाला कि दर्द के बावजूद उसने सहन किया था, “ हमेशा जवाब है हाँ, वह योग्य है l’” ’

अपने खौफनाक आजमाइश के दौरान परमेश्वर के अनुग्रह के कार्य के कारण,  हेलेन रोजवेयर ने फैसला किया कि वह उद्धारकर्ता जिसने उसके लिए मृत्यु सही, उसका अनुसरण करना योग्य था  चाहे वह जिसका भी सामना कर रही थी l उसके शब्द, “वह योग्य है” प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में यीशु के सिंहासन के चारों ओर के लोगों की पुकार की प्रतिध्वनि है l “और वे ऊंचे शब्द से कहते थे, ‘वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ्य और धन और ज्ञान के योग्य है!’” (5:12) l

हमारे उद्धारकर्ता ने दुःख उठाया और लहू बहाया और हमारे लिए मृत्यु सही, खुद को पूरी तौर से बलिदान कर दिया, ताकि हम सेंत-मेंत में अनंत जीवन और आशा प्राप्त करें l उसका सम्पूर्ण हमारे सम्पूर्ण की मांग करता है l वह योग्य है!