हाल ही में एक सर्वेक्षण ने उत्तर देनेवालों से उस उम्र की पहचान करने को कहा, जब उन्हें विश्वास हुआ कि वे सयाने हो गए l जिन्होंने खुद को सयाना समझा उन्होंने विशेष व्यवहार को अपनी स्थिति के प्रमाण के रूप में इंगित किया । एक बजट होना और एक घर खरीदना “सयाना होना” की सूची में सबसे शीर्ष स्थान पर रहा । सयानेपन की अन्य गतिविधियों में खाना बनाना और अपने खुद के चिकित्सकीय नियोजन भेंट का निर्धारण करना और सबसे ज्यादा हास्यपूर्ण रात के भोजन में स्नैक्स खाना या उतेजना में रात को अकेले बाहर जाने का चुनाव था l
बाइबल कहती है, कि हमें आत्मिक सिद्धता की तरफ भी बढ़ना है । पौलुस ने इफिसुस की कलीसिया के लोगों से यह आग्रह करते हुए लिखा “सिद्ध मनुष्य बन जाएँ और मसीह के पूरे डील-डौल तक . . . बढ़ जाएँ” (इफिसियों 4:13) l जब तक हम अपने विश्वास में “युवा” हैं हम “उपदेश के हर एक झोंके” (पद.14), के सामने असुरक्षित हैं, जो अक्सर हमारे बीच विभाजन में परिणित होता है l इसके बदले, जैसे हम सत्य की अपनी समझ में सिद्ध होते है, हम “उसमें जो सिर है, अर्थात् मसीह” के अधीन संयुक्त देह की तरह काम करते है (पद.15) l
परमेश्वर ने हमें वह कौन है की पूरी समझ में बढ़ने में मदद करने के लिए अपनी आत्मा दिया है (यूहन्ना 14:26), और वह पासवानों और शिक्षकों को हमारे विश्वास की परिपक्वता की ओर निर्देशित करने और अगुवाई करने के लिए सज्जित करता है (इफिसियों 4:11-12) l जैसे कि कुछ विशेषताएँ शारीरिक परिपक्वता के सबूत हैं, उसके शरीर के रूप में हमारी एकता हमारे आत्मिक विकास का सबूत है ।
किस तरह से आप अभी भी “उपदेश के हर एक झोंके” के सामने कमजोर है? आप आत्मिक रूप से कैसे उन्नति कर सकते है?
प्रिय परमेश्वर, आप मेरे विकास और सिद्धता के रचयिता हैं l कृपया मुझे देखने में मदद करें कि कहाँ पर आपके विषय मेरी समझ अभी भी अपरिपक्व है और मुझे और अधिक अपनी बुद्धि सिखाइए l
आत्मिक सिद्धता की ओर बढ़ने के बारे में और अधिक जानने के लिए, ChristianUniversity.org/SF212 पर जाएँ l