ए रिवर रन्स थ्रू इट(A River Runs Through It) नॉर्मन मेक्लीन की दो लड़कों की बेहतरीन कहानी है जो अमेरिका के एक पश्चिमी राज्य में अपने पिता, एक प्रेस्बिटेरियन पास्टर के साथ बड़े हो रहे थे । रविवार की सुबह, नॉर्मन और उसका भाई, पॉल, चर्च जाते थे जहाँ वे अपने पिता को उपदेश देते हुए सुनते थे l रविवार की शाम, एक दूसरी आराधना होती थी और उनके पिता फिर से उपदेश देते थे l लेकिन उन दोनों आराधनाओं के बीच, वे उसके साथ पहाड़ियों और नदियों की सैर करने के लिए स्वतंत्र थे, “जब वह अपने आप को ताज़ा करते थे ।“ उनके पिता जानबूझकर अपने आप को “शाम के उपदेश के लिए अपनी आत्मा को नया करने और पुनः भरकर उमंडने के लिए” अलग करते थे l 

सुसमाचारों में हर जगह, यीशु पहाड़ों पर और शहरों में भीड़ को शिक्षा देते हुए और बीमारों और अस्वस्थ लोगों को चंगा करते हुए दिखाई देता है जो उसके पास लाये जाते थे l यह सब परस्पर क्रियाएँ मनुष्य के पुत्र का मिशन/उद्देश्य “खोए हुओं को ढूँढने और उनका उद्धार करने” के अनुकूल था (लूका 19:10) l  लेकिन यह भी ध्यान दिया गया है कि वह अक्सर “जंगलों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था” (5:16) l उसका समय वहाँ पर पिता के साथ बातचीत करने में व्यय होता था, जिससे वह तरोताज़ा और नवीकृत होकर फिर से अपने मिशन में कदम रख सके l 

सेवा करने के हमारे विश्वासयोग्य प्रयासों में, हमारे लिए यह याद रखना जरूरी है कि यीशु “अक्सर” अलग जाता था । यदि यह अभ्यास यीशु के लिए जरूरी था, तो हमारे लिए और कितना अधिक है? हम नियमित रूप से अपने पिता के साथ समय बिताएँ, जो हमें फिर से उमड़ने तक भर सकता है ।