सिंक पर, दो छोटे बच्चे──प्रत्येक दो बार──हाथ धोते समय प्रसन्नतापूर्वक “हैप्पी बर्थडे” गाना गा रहे होते हैं । “कीटाणुओं को साफ़ करने में उतना लम्बा समय लगता है,” उनकी माँ ने उन्हें बताती है l इसलिए कोविड-19 महामारी से और भी पहले, उन्होंने अपने हाथों की गंदगी साफ करने के लिए समय निकालना सीखा था l 

चीजों को साफ रखना थकाऊ प्रक्रिया हो सकती है, जैसे हमने महामारी में सीखा है : हलांकि, पाप को दूर करना, का अर्थकेंद्रित कदमों से परमेश्वर के पास लौटना है ।

याकूब ने रोमी साम्राज्य में बिखरे हुए यीशु में विश्वासियों से आग्रह किया कि वे वापस अपना ध्यान परमेश्वर पर केन्द्रित करें। लड़ाई और झगड़े से घिरे हुए, एक दूसरे पर हावी होने की आदत, सम्पत्ति, सांसारिक ख़ुशी, पैसा, और पहचान के लिए उनकी लड़ाई ने उन्हें परमेश्वर का दुश्मन बना दिया था । उसने उन्हें चिताया, “परमेश्वर के अधीन हो जाओ; और शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा . . . अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगो, अपने हृदय को पवित्र करो” (याकूब 4:7-8) l पर कैसे?

“परमेश्वर के निकट आओ तो वह भी तुम्हारे निकट आयेगा” (पद.8) l ये सैनिटाइज करने वाले शब्द हैं जिसमें हमारे जीवन से पाप की गन्दगी दूर करने के लिए परमेश्वर की ओर मुड़ने की आवश्यकता का वर्णन है ।याकूब ने इसके आगे सफाई की विधि समझाया : “दुःखी हो, और शोक करो, और रोओ । तुम्हारी हँसी शोक में और तुम्हारा आनंद उदासी में बदल जाए। प्रभु के सामने दीन बनो तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा” (पद. 9-10) l 

अपने पाप से निपटना विनम्र बनाता है । पर हल्लिलुय्याह, परमेश्वर हमारी “धुलाई” को उपासना में बदलने में विश्वासयोग्य है ।