एक बच्चे को पाने के लिए वर्षों कोशिश करने के बाद, जब रीता गर्भवती हुई तो विश्वास और रीता उत्तेजित हुए । लेकिन उसकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बच्चे के लिए जोखिम बन गया, इसलिये विश्वास हर रात अपनी पत्नी और बच्चे के लिए प्रार्थना करते हुए जागता था l एक रात, विश्वास ने महसूस किया कि उसे इतनी परिश्रमशीलता से प्रार्थना करने की जरूरत नहीं, क्योंकि परमेश्वर ने देखभाल करने का वायदा किया है । लेकिन एक सप्ताह बाद रीता का गर्भपात हो गया । विश्वास बर्बाद हो गया । वह सोचने लगा, क्या वे बच्चा इसलिये खो दिए क्योंकि उसने परिश्रमशीलता से प्रार्थना नहीं की थी?
पहले पठन में हम सोच सकते हैं कि आज का दृष्टान्त यही सिखाता है । इस कहानी में, एक पड़ोसी (कभी कहा जाता है कि यह परमेश्वर को दर्शाता है) अपने मित्र के कष्टकर जिद्द करने के कारण ही उसकी मदद करने बिस्तर से बाहर आता है (लुका 11:5-8) । इसे इस तरीके से पढें, यह दृष्टान्त सुझाता है कि हमें जो चाहिए परमेश्वर हमें तभी देगा जब हम उसे परेशान करेंगे l और यदि हम काफी गंभीरता से प्रार्थना नहीं करेंगे, शायद परमेश्वर हमारी मदद नहीं करेगा l
परन्तु बाइबल के प्रसिद्ध टिप्पणीकार मानते हैं कि यह दृष्टान्त को गलत समझना है——इसका मुख्य बिंदु यह है कि यदि पड़ोसी अपने स्वार्थी कारणों से हमारी मदद कर सकते हैं, तो हमारा निस्वार्थी पिता और कितना अधिक करेगा l तो हम पूरे आत्मविश्वास से मांग सकते हैं (पद.9-10), यह जानते हुए कि परमेश्वर दोषपूर्ण इंसानों से महान है (पद.11-13) । वह दृष्टान्त में पड़ोसी नहीं है, लेकिन उसके विपरीत है l
“मुझे नहीं पता तुमने अपना बच्चा क्यों खोया,” मैंने विश्वास से कहा, “लेकिन मैं जनता हूँ यह इसलिये नहीं हुआ क्योंकि तुमने काफी ‘परिश्रमशीलता’ से प्रार्थना नहीं की थी l प्रभु वैसा नहीं है ।”
यदि दृष्टान्त में पड़ोसी परमेश्वर को दर्शाता है, तो क्या सुझाता है कि परमेश्वर कैसा है? यदि पद 11-13 दृष्टान्त को स्पष्ट करता है, तो फिर परमेश्वर कैसा है?
हे पिता, आज मैं अपने और दूसरों की जरूरतों को आपके पास लाता हूँ, आश्वस्त होकर कि आप मेरी सुनेंगे और उत्तर देंगे, और आभारी होकर कि यह आपकी भलाई है जो मायने रखती है न कि मेरे शब्द ।
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