मैं ट्यूलिप्स(tulips) के बारे में सच्चा नहीं था l मेरी छोटी बेटी की ओर से एक तोहफा, पैक किये हुए कन्द/बल्ब उसके साथ विदेश यात्रा के बाद उसके साथ अमरीका की यात्रा किये l इसलिए मैंने उन बल्बों को बड़े उत्सुकता के साथ स्वीकार करने का दिखावा किया, जितना कि मैं बेटी के साथ फिर से मिलने के लिए उत्सुक थी । पर ट्यूलिप मेरे कम पसंदीदा फूल हैं l कई जल्दी खिलते हैं और शीघ्र मुर्झा जाते हैं l इसी बीच, जुलाई के मौसम ने, उसे लगाने के लिए काफी गर्म हो गया l 

अंततः, हलांकि, सितम्बर के अंत में, मैंने “मेरी बेटी के” फूलों के बल्ब को लगा दिया──उसके बारे में सोचते हुए और इस प्रकार उसे प्रेम से लगाया । चट्टानी मिटटी को हर बार पलटने के साथ, उन फूलों के बल्ब के बारे में मेरी चिंता बढ़ती गयी l उन पौधों के स्थान को आखरी बार थपथपाने के बाद, बसंत के मौसम में फिर से खिलते हुए ट्यूलिप देखने की आशा में मैंने उन कन्दों/बल्ब को आशीष दी, “आराम से सो जाओ l” 

मेरी छोटी परियोजना हमें एक दूसरे से प्रेम करने के लिए परमेश्वर के आह्वान का एक नम्र अनुस्मारक बन गया, भले ही हम एक दूसरे के “पसंदीदा” न हों । एक दूसरे के दोषपूर्ण “खरपतवार” के आगे भविष्य में देखते हुए, हम परमेश्वर द्वारा दूसरों के प्रति प्रेम बढ़ाने के लिए सक्षम हैं, यहाँ तक कि अनिश्चित स्वभाव के मौसमों में भी l फिर समय के साथ, हमलोगों के होते हुए भी आपसी प्रेम खिलता है l यीशु ने कहा, “यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो” (पद.35) l उसके द्वारा छांटें जाने के बाद, हम धन्य किये जाते हैं कि हम खिलें, जैसे कि मेरे ट्युलिप अगले वसंत में खिले──उसी सप्ताहांत में मेरी बेटी एक छोटी मुलाकात के लिए आयी l “देखो क्या खिल रहे हैं!” मैंने कहा l अंत में, मैं l