जबकि मेरे सहपाठी और मैं विश्वविद्यालय में कभी-कभी होने वाले व्याख्यान को छोड़ देते थे, साल के अंत की परीक्षा से पूर्व सप्ताह में प्रोफ़ेसर क्रिस के व्याख्यान में अवश्य ही सभी उपस्थित होते थे l यह वह समय होता था जब वह परीक्षा प्रश्नों के विषय जो उन्होंने बनाया था हमेशा बड़े संकेत देते थे l 

मैंने हमेशा आश्चर्य किया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, जब तक मुझे एहसास नहीं हुआ कि प्रोफेसर क्रिस चाहते थे कि हम अच्छा करें l उनके पास उच्च मानक थे, लेकिन उनको पूरा करने में वे हमारी मदद करते थे l हमें केवल आकर सुनना था ताकि हम उचित तरीके से तैयारी कर सकते थे l 

मेरे मन में भी अचानक आया कि परमेश्वर भी वैसा ही है l परमेश्वर अपने मानक से समझौता नहीं कर सकता है, लेकिन इसलिए कि उसकी इच्छा है कि हम उसके समान बने, उसने हमें उन मानकों को पूरा करने के लिए पवित्र आत्मा दिया है l 

यिर्मयाह 3:11-14 में, परमेश्वर ने अविश्वासयोग्य इस्राएल से अपना दोष स्वीकार कर उसके पास लौटने का आग्रह किया l लेकिन यह जानकार कि वे कितने अड़ियल और कमजोर है, वह उनकी मदद करने वाला था l वह उनके भटकने को सुधारने की प्रतिज्ञा करता है (पद.22), और उसने उनको सिखाने और मार्गदर्शित करने के लिए चरवाहे भेजे (पद.15) l 

यह जानना कितना आरामदायक है कि चाहे हम कितने बड़े पाप में फंसे हों या हम परमेश्वर से कितनी ही दूर चले गए हों, वह हमारी अविश्वसनीयता को चंगा करने के लिए तैयार है l हमें सिर्फ अपने गलत मार्ग को स्वीकार करना है और पवित्र आत्मा को हमारे हृदयों को बदलने के लिए पवित्र आत्मा को अनुमति देना है l