फोन बजा और बगैर विलम्ब किये मैंने उसे उठा लिया l पुकारनेवाली हमारे चर्च परिवार की सबसे पुरानी सदस्या थी──ऊर्जावान, मेहनती महिला जिसकी उम्र लगभग सौ वर्ष थी l अपनी नवीनतम पुस्तक में अंतिम सुधार करते हुए, उन्होंने समापन रेखा पार करने के लिए मुझसे कुछ प्रश्न लिखने के लिए कहा l हमेशा की तरह, हालाँकि, मैं तुरंत उनसे प्रश्न पूछने लगा──जीवन, कार्य, प्रेम, परिवार के विषय l लम्बे जीवन से उनके अनेक सबक बुद्धिमत्ता से चमक रहे थे l उन्होंने मुझसे कहा, “अपनी रफ़्तार को नियमित करो l” और शीध्र ही हम उन समयों के विषय खिलखिला रहे थे जब वह ऐसा करना भूल गई  थीं──उनकी अद्भुत कहानियाँ जो वास्तविक आनंद से समयोचित थीं l 

बाइबल सिखाती है कि बुद्धिमत्ता आनंद का कारण बनती है l “क्या ही धन्य(आनंदित) है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे” (नीतिवचन 3:13) l हम पाते हैं कि यह मार्ग──बुद्धिमत्ता से आनंद की ओर──वास्तव में बाइबल का एक सद्गुण है l “बुद्धि . . . तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान(आनंद) तुझे सुख देनेवाला लगेगा” (नीतिवचन 2:10) l “जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनंद देता है” (सभोपदेशक 2:26) l नीतिवचन 3:17(BSI,Hindi-C.L.) आगे कहता है, बुद्धिमत्ता के “पथ सुख-समृद्धि से परिपूर्ण हैं l”

जीवन के विषयों पर विचार करते हुए, लेखक सी. एस. ल्युईस ने घोषणा किया कि “आनंद स्वर्ग का गंभीर मामला है l” वहाँ का पथ, हालाँकि, बुद्धिमत्ता से प्रशस्त है l मेरे चर्च की सखा, जो 107 वर्ष तक जीवित रही, सहमत होती l वह बुद्धि सम्मत, आनंदित गति से राजा की ओर चली l