जैक एक अकेला व्यक्ति था l जब वह शहर   के सड़कों पर चलता था, वह प्रतिकूल नज़र को महसूस कर सकता था l लेकिन उसके बाद उसके जीवन ने एक करवट लिया l धर्म पिताओं में से एक, सिकंदरिया का क्लेमेंट, कहते हैं कि जैक एक बहुत ही प्रमुख मसीही अगुआ बना और कैसरिया में चर्च का पास्टर बना l जी हाँ, हम जक्कई के विषय बात कर रहे हैं, कर अधिकारी जो यीशु को देखने के लिए एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया था (लूका 19:1-10) l 

किसने उसे पेड़ पर चढ़ने के लिए प्रेरित किया? कर अधिकारियों को देशद्रोही समझा जाता था क्योंकि रोमी साम्राज्य की सेवा करने के कारण वह अपने ही लोगों पर भारी कर लगाया करते थे l इसके बावजूद ऐसों को स्वीकार करने के लिए यीशु के पास एक ख्याति थी l जक्कई शायद सोचा होगा कि क्या यीशु उसे भी स्वीकार करेगा l कद में नाटा  होने के कारण, हालाँकि, वह भीड़ के ऊपर देखने में असमर्थ था (पद.3) l शायद उसे देखने के लिए वह एक पेड़ पर गया l 

और यीशु भी जक्कई को ढूंढ़ रहा था l जब मसीह पेड़ के निकट पहुँचा जहाँ पर वह चढ़ा हुआ था, उसने ऊपर देखा और कहा, “जक्कई, झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है” (पद.5) l यीशु ने इस बात को बिलकुल  अनिवार्य  माना की वह इस परित्यक्त के घर पर अतिथि हो l इसकी कल्पना कीजिये! संसार का उद्धारकर्ता सामाजिक रूप से तिरस्कृत के साथ समय व्यतीत करना चाहता है l 

चाहे हमारे हृदय, सम्बन्ध, अथवा जीवन जिसे दुरुस्ती की ज़रूरत है, जक्कई की तरह हमारे पास आशा हो सकती है l यीशु हमें तिरस्कृत नहीं करेगा जब हम उसकी ओर मुड़ते हैं l जो खो, और टूट गया है उसे वह पुनर्स्थापित कर सकता है और हमारे जीवनों को नया अर्थ और उद्देश्य दे सकता है l