मेरी माँ की अचानक मृत्यु के बाद, मैं ब्लॉगिंग शुरू करने के लिए प्रेरित हुआ l मैं ऐसे पोस्ट लिखना चाहता था जो लोगों को पृथ्वी पर अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को बनाने के लिए उपयोग करने के लिए प्रेरित करें l इसलिए मैंने ब्लॉगिंग के लिए एक शुरूआती नियमावली की ओर रुख किया l मैंने सीखा कि किस पटल का उपयोग करना है, शीर्षकों का चयन कैसे करना है और सम्मोहक पोस्ट कैसे बनाना है l और 2016 में, मेरी पहली ब्लॉग पोस्ट का जन्म हुआ l
पौलुस ने एक “शुरूआती नियमावली” लिखा जो बताता है कि कैसे अनंत जीवन प्राप्त किया जा सकता है l रोमियों 6:16-18 में, वह इस तथ्य की कि हम परमेश्वर के प्रति विद्रोह में जन्म लिए थे(पापी) के साथ इस सत्य की तुलना करता है कि यीशु हमें हमारे “पाप से [छुड़ाने]” में मदद कर सकता है (पद.18) l इसके बाद पौलुस पाप का दास और परमेश्वर का दास होने और उसके जीवनदायक तरीकों के बीच अंतर का वर्णन करता है (पद.19-20) l वह यह कहते हुए आगे बढ़ता है कि “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनंत जीवन है” (पद.23) l मृत्यु का अर्थ परमेश्वर से हमेशा का अलगाव है l यह वह विनाशकारी परिणाम है जिसका सामना हम तब करते हैं जब हम मसीह का तिरस्कार करते हैं l लेकिन परमेश्वर ने यीशु में हमें एक उपहार दिया है──नया जीवन l यह इस प्रकार का जीवन है जो पृथ्वी पर आरम्भ होता है और स्वर्ग में उसके साथ हमेशा के लिए जारी रहता है l
पौलुस का आरम्भिक अनंत जीवन की नियमावली हमारे सामने दो चुनाव रखती है──पाप का चुनाव, जो मृत्यु की ओर ले जाती है, या यीशु के उपहार का चुनाव, जो अनंत जीवन तक पहुंचता है l आप उसके जीवन का उपहार स्वीकार करें, और यदि आपने पहले ही मसीह को स्वीकार कर लिया है, तो आप आज दूसरों के साथ इस उपहार को साझा कीजिये!
आप कैसे वर्णन करेंगे कि यीशु मसीह के द्वारा अनंत जीवन का मुफ्त उपहार प्राप्त करने का क्या मतलब है? पाप का दास और परमेश्वर का दास होने और उसके जीवन-दायक तरीकों के बीच अंतर क्या है?
हे यीशु, मुझे प्यार करने और मुझे माफ़ करने के लिए धन्यवाद l आपने एक ऋण का भुगतान किया, जिसका मैं भुगतान नहीं कर सकता था और मुझे एक उपहार दिया जिसे मैं खरीद नहीं सकता था l