जे. आई. पैकर (1926-2020), ने अपने उत्कृष्ट पुस्तक नोईंग गॉड(Knowing God) में, मसीह में चार प्रसिद्ध विश्वासियों के विषय बताया, जिन्हें उन्होंने “बाइबल के लिए उदबिलाव (beavers for the Bible)” संबोधित किया l “सभी प्रशिक्षित विद्वान नहीं थे, लेकिन जैसे एक उदबिलाव एक पेड़ को कुतर कर उसमें घुस जाता है, वैसे ही हर एक पवित्रशास्त्र को खा कर परमेश्वर को जानने के लिए बड़ी सावधानी बरतते थे l पैकर ने आगे ध्यान दिया कि बाइबल अध्ययन के द्वारा परमेश्वर को जानना केवल विद्वानों के लिए नहीं है l “एक साधारण बाइबल पढ़ने वाला और उपदेश सुनने वाला जो पवित्र आत्मा से भरा हुआ है एक अधिक दक्ष विद्वान जो धर्मवैज्ञानिक रूप से सही होने से संतुष्ट है की तुलना में अपने परमेश्वर और उद्धारकर्ता के साथ कहीं अधिक गहरा जान-पहचान बना लेगा l
दुर्भाग्यवश, बाइबल का अध्ययन करनेवाले सभी लोग विनम्र दिलों के साथ उद्धारकर्ता को बेहतर तरीके से जानने और उसके समान बनने के लक्ष्य के साथ ऐसा नहीं करते हैं l यीशु के काल में पुराने नियम के ग्रंथों को पढ़ने वाले लोग थे, फिर भी पवित्रशास्त्र जिस एक व्यक्ति के बारे में कहता था उससे वे चूक गए l “तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनंत जीवन तुम्हें मिलाता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिए मेरे पास आना नहीं चाहते” (यूहन्ना 5:39-40) l
क्या आप कभी-कभी बाइबल पढ़ते हुए खुद को ठगा हुआ पाते हैं? या क्या आपने शास्त्रों का पूरी तरह से अध्ययन करना छोड़ दिया है? बाइबल के “उदबिलाव” बाइबल पाठकों से अधिक हैं l वे प्रार्थना और ध्यान से पवित्रशास्त्र को उन तरीकों से पढ़ते हैं जो यीशु को देखने और उससे प्यार करने के लिए उनकी आँखें और दिल खोलते हैं──जो इसमें प्रकट हुआ है l
पुराने नियम के कुछ एक परिच्छेद कौन से हैं जिसे आप यीशु के विषय “गवाही देते हुए” पहचानते हैं? शास्त्रों के बेहतर छात्र बनने के लिए आपको किन बेहतर आदतों को विकसित करने की आवश्यकता है?
हे पिता, सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में यीशु को देखने के लिए मेरी आँखें खोलिए ताकि मैं प्रेम कर सकूँ, आज्ञा मान सकूँ, और उसकी और अधिक सेवा कर सकूँ l