जब वे कार की ओर जा रहे थे, दर्शन ने अपनी माँ के बाहों को छुड़ा कर चर्च के दरवाजों की ओर पागल की तरह दौड़ लगाया । वह छोड़ना नहीं चाहता था! उसकी माँ उसके पीछे दौड़ी और प्यार से अपने बेटे को सहलाने की कोशिश की ताकि वे जा सकें । जब उसकी माँ ने आखिरकार चार साल के दर्शन को फिर से गोद में ले लिया, और वे जाने लगे तो वह रोने लगा और उनके कंधे पर झुककर ललक के साथ चर्च की ओर जाना चाहा ।

दर्शन महज ही चर्च में अपने मित्रों के साथ खेलने का आनंद लिया होगा, लेकिन उसकी उत्सुकता दाऊद की परमेश्वर की आराधना करने की एक तस्वीर है । यद्यपि उसने परमेश्वर से अपने आराम और सुरक्षा के लिए उसके शत्रुओं को विफल करने को कहा होगा, लेकिन दाऊद शांति का राज्य चाहता था ताकि उसके स्थान पर वह “जीवन भर यहोवा के भवन में रहने [पाए], जिससे यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए” (भजन 27:4) । उसकी हार्दिक इच्छा परमेश्वर के साथ रहना था──जहाँ वह था──और उसकी उपस्थिति का आनंद लेना था । इस्राएल का महानतम राजा और सेनानायक शांति के समय का उपयोग “जयजयकार के साथ . . . भजन” गाने में करना चाहता था (पद.6) ।

हम स्वतंत्र रूप से कहीं भी परमेश्वर की आराधना कर सकते हैं, क्योंकि वह विश्वास के द्वारा पवित्र आत्मा के व्यक्तित्व में हमारे अन्दर निवास करता है (1 कुरिन्थियों 3:16; इफिसियो 3:17) । हम उसकी उपस्थिति में अपने दिन गुज़ारने की चाह रखें और दूसरे विश्वासियों के साथ सामूहिक रूप से उपासना करने के लिए इकट्ठे हों । परमेश्वर में──इमारत की दीवारें नहीं──हम अपनी सुरक्षा और अपना सबसे बड़ा आनंद पाते हैं ।