एक बच्चे के रूप में, टेनी ने असुरक्षित महसूस किया । उसने अपने पिता से अनुमोदन माँगा, लेकिन उसे कभी नहीं मिला । ऐसा प्रतीत हुआ कि उसने जो भी किया, चाहे स्कूल या घर में, वह कभी भी अच्छा नहीं था । जब वह व्यस्क हो गया, वह असुरक्षा कायम रहा । वह निरंतर सोचता रहा, क्या मैं लायक हूँ? 

केवल जब टेनी ने यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार  कर लिया उसने सुरक्षा और अनुमोदन प्राप्त किया जिसकी वह लम्बे समय से अभिलाषा करता था । उसने सीखा कि परमेश्वर──उसको रचने के बाद──उससे प्रेम करता था और उसे अपने पुत्र की तरह दुलारता था । टेनी आख़िरकार उस भरोसे के साथ जी सकता था कि वास्तव में उसका महत्त्व था और वह अधिमुल्यित था । 

यशायाह 43:1-4 में, परमेश्वर ने अपने चुने हुए लोगों से बोला कि, उनको बनाने के बाद, वह उन्हें छुड़ाने के लिए अपनी सामर्थ्य और प्रेम का उपयोग करेगा । “मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है,” उसने घोषणा की । इसलिए कि वह उनसे प्यार करता था वह उनके पक्ष में कार्य करेगा (पद.4) । 

परमेश्वर जिनसे प्रेम करता है उन पर जो मूल्य रखता है वह हमारे द्वारा किये गए कार्यों के कारण नहीं है, लेकिन सरल और शक्तिशाली सच्चाई से कि उसने हमें अपना बनाने के लिए चुना है । 

यशायाह 43 में ये शब्द टेनी को केवल महान सुरक्षा ही नहीं दिया, बल्कि जो भी कार्य करने के लिए उसे बुलाया गया था, उसमें परमेश्वर के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ करने के भरोसे के साथ उसे सामर्थी बनाया । आज वह एक पास्टर है जो इस जीवन-सत्य के साथ दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए वह सब करता है : हम यीशु में स्वीकृत और अनुमोदित हैं । आज हम इस सच्चाई को भरोसा के साथ जीएँ ।